Breaking

शुक्रवार, 1 सितंबर 2023

धार्मिक / चिता की भस्म क्यों लगाते है भगवान शिव read more

 भस्म शिव का प्रमुख वस्त्र भी है क्योंकि शिव का पूरा शरीर ही भस्म से ढंका रहता है। संतों का भी एक मात्र वस्त्र भस्म ही है। अघोरी, नागा साधु, संन्यासी और अन्य साधु भी अपने शरीर पर भस्म रमाते हैं। शिव का भस्म रमाने के पीछे कुछ वैज्ञानिक तथा आध्यामित्क कारण भी हैं।शिव का शरीर पर भस्म लपेटने का दार्शनिक अर्थ यही है कि यह शरीर जिस पर हम गर्व करते हैं, जिसकी सुरक्षा का इतना इंतजाम करते हैं। इस भस्म के समान हो जाएगा। शरीर क्षणभंगुर है और आत्मा अनंत। शरीर की गति प्राण रहने तक ही है। इसके बाद यह श्री हीन, कांतिहीन हो जाता है।भस्म की एक विशेषता होती है कि यह शरीर के रोम छिद्रों को बंद कर देती है। इसका मुख्य गुण है कि इसको शरीर पर लगाने से गर्मी में गर्मी और सर्दी में सर्दी नहीं लगती।
रोम कूपों के ढंक जाने से शरीर की गर्मी बाहर नहीं निकल पाती इससे शीत का अहसास नहीं होता और गर्मी में शरीर की नमी बाहर नहीं होती।  इससे गर्मी से रक्षा होती है। परजीवी (मच्छर, खटमल आदि) जीव भी भस्म रमे शरीर से दूर रहते हैं।ऐसा भी कहा जाता है एक बार भगवान शिव के सामने से एक मुर्दे को लेकर लोग जा रहे थे,भगवान शिव ने देखा कि लोग उस मुर्दे में पीछे पीछे चल रहे है और जो जो से कह रहे है राम नाम सत्य है राम नाम सत्य है,भगवान बोले ये तो मेरे प्रभु का नाम ले रहे है ये आगे कौन सा महान व्यक्ति जा रहा है जिसके पीछे लोग प्रभु का नाम ले रहे है भगवान भी उनके पीछे चलने लगे।और कहने लगे राम नाम सत्य है।जब शमशान में पहुँचे तो भगवान शिव ने देखा कि सब ने कहना बंद कर दिया, और घर गृहस्थी कि बाते करने लगे कोई बोला दूकान खोलना है लेट हो रहा हूँ, कोई बोला इसको भी आज ही मरना था। शिव सोचने लगे इन्होने तो नाम लेना बंद ही कर दिया, फिर थोड़ी देर बार एक-एक करने सब चले गए,शिव जी वही शमशान में खड़े रहे,जब मुर्दा जल गया तो भगवान शिव बोले इसकी वजह से लोग मेरे प्रभु का नाम ले रहे थे ये तो बड़ा महान व्यक्ति है और तुरत भगवान ने उसकी चिता की भस्म लेकर अपने शरीर में मल ली,और तब से भस्म रमाने लगे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Comments