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शनिवार, 23 सितंबर 2023

जिला पुरूष अस्पताल लखीमपुर खीरी में संपन्न हुई बहिरता बचाव एवं रोकथाम कार्यशाला

लखीमपुर खीरी। एनसीडी के अंतर्गत संचालित राष्ट्रीय बहिरता बचाव एवं रोकथाम कार्यक्रम (एनपीपीसीडी) के अंतर्गत जिला पुरुष चिकित्सालय में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें एनसीडी सहित आरबीएसके और आरकेएसके में कार्यरत काउंसलर्स और पैरामेडिकल स्टाफ ने प्रतिभा किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सीएमएस डॉ आईके रामचंदानी ने की। वहीं बतौर मुख्य अतिथि मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ शैलेश कुमार गोयल ने प्रतिभाग किया। इस दौरान कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ अनिल कुमार गुप्ता और ईएनटी सर्जन डॉक्टर मनोज शर्मा भी मौजूद रहे।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए मेडिकल कॉलेज लखीमपुर के प्रधानाचार्य डॉ शैलेश कुमार गोयल ने बताया कि शासन द्वारा चलाए जा रहा यह कार्यक्रम बेहद विशेष है और किसी कारण गांव तक इसे लेकर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से आप सभी की ट्रेनिंग इस कार्यशाला के माध्यम से कराई जा रही है। जिससे आप सभी गांव-गांव तक पहुंच कर आम जनमानस को राष्ट्रीय बहरिता बचाव एवं रोकथाम कार्यक्रम से जोड़ें और शासन की मंशा के अनुरूप ऐसे लोगों तक लाभ पहुंचाएं, जिसे उनकी जरूरत है।

सीएमएस जिला पुरुष चिकित्सालय डॉ आईके रामचंदानी ने कार्यशाला मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों को बताया कि अगर आपका कान या आपके बच्चे का कान बहता है तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। ऐसी स्थिति होने पर उन्हें गंदे पानी में तैरने और नहाने न दें बच्चे अस्वच्छ वातावरण में रहने से बचें और तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जांच कराएं। जिससे सही और सुरक्षित इलाज किया जा सके। साथी
 ही उन्होंने सभी प्रतिभागियों से कहा कि अपने-अपने क्षेत्र में इसका व्यापक प्रचार करें और कान में किसी भी तरह की समस्या के उचित उपचार के लिए उसे जिला पुरुष चिकित्सालय रेफर करें।
कान बहने के कारण पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि कान में पानी न जाने दें और किसी भी प्रकार का तरल पदार्थ अनावश्यक ना डालें। मवाद को साफ और नरम कपड़े से ही साफ करना चाहिए, मवाद में बदबू होना या खून आना गंभीर रोगों के लक्षण हो सकते हैं, ऐसे में प्रशिक्षित चिकित्सक से ही अपना उपचार कराएं। 

जिला पुरुष चिकित्सालय के नाक, कान व गला रोग विशेषज्ञ डॉ मनोज शर्मा ने इस दौरान बताया कि राष्ट्रीय बहरिता एवं बचाव रोकथाम कार्यक्रम के अंतर्गत इस बार इंटरनेशनल वीक ऑफ डेफ पीपल थीम पर कार्यशाला का आयोजन किया गया है। श्रवण शक्ति एक ऐसा माध्यम है। जिसके द्वारा दुनिया से हमारा संपर्क होता है। ऐसे में कान में किसी भी तरह की बीमारी या बहरेपन किसी भी व्यक्ति की जिंदगी बहुत अधिक प्रभावित हो सकती है और समाज के साथ-साथ उसका जीवन भी प्रभावित होता है। ऐसे में सतर्कता, सजगता और जागरूकता की बहुत अधिक आवश्यकता है। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि बच्चों में कान की देखभाल हेतु स्कूल के शिक्षकों अध्यापकों को क्या करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चा यदि कक्षा में अनमान रहे हैं और ध्यान ना दे रहे हों तो हो सकता है वह कम सुन रहे हों यदि बच्चे का कान बहता हो या कम सुनता हो तो उसकी डॉक्टरी जांच अवश्य करें। बच्चों को कान में कुछ डालने से रोके और कभी कान पर ना मारे। इस दौरान एनसीडी एपिडेमियोलॉजी डॉ राकेश गुप्ता, जेआर डॉ सुधीर यादव, मैट्रन रजनी मसीह, काउंसलर एनसीडी देवनंदन श्रीवास्तव, ऑडियोमेट्रिस्ट बसंत गुप्ता, फार्मासिस्ट नीरज शुक्ला व सरिता मौजूद रहें।

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