नई दिल्ली चंद्रयान-3 इतिहास रचने के महज कुछ ही घंटों की दूरी पर है। चांद पर लैंडिंग की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। आज 23 अगस्त शाम 5.45 मिनट पर चंद्रयान-3 चांद पर कदम रखेगा।
इस बीच सोमवार को चंद्रयान-2 ने चंद्रयान -3 का औपचारिक स्वागत किया। दोनों के बीच दोतरफा संचार स्थापित हो गया है। इससे पहले इसरो ने यान द्वारा ली गई चंद्रमा की कुछ तस्वीरें भी साझा की सोचंद्रयान-3 का चंद्रयान-2 से हुआ संपर्क, दोनों के बीच संचार स्थापित, ISRO ने दी खुशखबरी नई दिल्ली चंद्रयान-3 इतिहास रचने के महज कुछ ही घंटों की दूरी पर है। चांद पर लैंडिंग की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। आज 23 अगस्त शाम 5.45 मिनट पर चंद्रयान-3 चांद पर कदम रखेगा।
इस बीच सोमवार को चंद्रयान-2 ने चंद्रयान -3 का औपचारिक स्वागत किया। दोनों के बीच दोतरफा संचार स्थापित हो गया है। इससे पहले इसरो ने यान द्वारा ली गई चंद्रमा की कुछ तस्वीरें भी साझा की।
सोमवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ट्वीट करके कहा था कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल का स्वागत किया। दोनों के बीच द्विपक्षीय संपर्क स्थापित किया गया है। उल्लेखनीय है कि साल 2019 में भारत ने अपना मिशन चंद्रयान-2 लॉन्च किया था लेकिन सॉफ्ट लैंडिंग में गड़बड़ी हो गई थी। चंद्रयान-2 क्रैश हुआ लेकिन इसने अपना काम किया था। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पिछले 4 साल से चांद के इर्द-गिर्द चक्कर लगा रहा है और अपना काम कर रहा है। अब चार साल के बाद जब विक्रम लैंडर फिर से चांद के पास पहुंचा है तब चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर भी एक्टिव हुआ है।मवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ट्वीट करके कहा था कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल का स्वागत किया। दोनों के बीच द्विपक्षीय संपर्क स्थापित किया गया है। उल्लेखनीय है कि साल 2019 में भारत ने अपना मिशन चंद्रयान-2 लॉन्च किया था लेकिन सॉफ्ट लैंडिंग में गड़बड़ी हो गई थी। चंद्रयान-2 क्रैश हुआ लेकिन इसने अपना काम किया था। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पिछले 4 साल से चांद के इर्द-गिर्द चक्कर लगा रहा है और अपना काम कर रहा है। अब चार साल के बाद जब विक्रम लैंडर फिर से चांद के पास पहुंचा है तब चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर भी एक्टिव हुआ है।
● चांद पर 50 साल बाद फिर नासा भेजेगा इंसान, बना रहा यह खास टीम; जानें कौन बनेगा इसका हिस्सा
भारत के चंद्रयान-3 मिशन को लेकर हर कोई उत्सुक है। इस बीच, 50 साल बाद अमेरिका की अतंरिक्ष एजेंसी नासा एक बार फिर इंसान को चंद्रमा पर भेजने की तैयारी कर रहा है। और एलान किया है कि वह एक बार फिर इंसान को चांद पर भेजेगा। इसके लिए उसने एक भूविज्ञान टीम को चुना है, जो सफल मिशन के लिए रणनीति तैयार करेगी। गौरतलब है, पहली बार इंसान ने सन् 1969 में चांद पर पैर रखा था। उस समय नील आर्मस्ट्रांग और उनके साथी गए थे। हालांकि, 1972 के बाद किसी मानव मिशन को चांद पर नहीं भेजा गया। वैज्ञानिक चांद पर लोगों को बसाने के लिए खोज करना चाहते हैं। इसलिए नासा का आर्टेमिस III मिशन चंद्रमा पर कदम रखने के लिए तैयार होने वाला है। इसके साथ ही नासा ने फैसला लिया कि चांद पर भेजने वाली टीम में महिला भी शामिल होंगी और मिशन को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब भेजा जाएगा।नासा की साइंस एसोसिएट प्रशासक डॉ. निकी फॉक्स ने कहा कि विज्ञान आर्टेमिस के स्तंभों में से एक है। उन्होंने कहा कि 50 साल से अधिक समय बाद एक बार फिर चांद पर इंसानों को भेजने की योजना का भूविज्ञान टीम नेतृत्व करेगी। टीम यह सुनिश्चित करेगी कि मिशन को सफल कैसे बनाया जा सके प्रमुख अन्वेषक डॉ. ब्रेट डेनेवी के नेतृत्व में आर्टेमिस- भूविज्ञान टीम मिशन के भूवैज्ञानिक विज्ञान उद्देश्यों का पता लगाने और भूविज्ञान सतह अभियान को डिजाइन करने के लिए एजेंसी के साथ मिलकर काम करेगी। साथ ही जब यह लोग चांद पर पहुंचेंगे, तब इनका इस्तेमाल किया जाएगा। वहीं, उप सहयोगी प्रशासक डॉ. जोएल किर्न्स ने कहा कि इस टीम का चयन आर्टेमिस-III के हमारे प्रयासों में से एक महत्वपूर्ण कदम है।उन्होंने कहा कि आर्टेमिस III भूविज्ञान टीम के साथ हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि नासा एक मजबूत चंद्र विज्ञान कार्यक्रम बनाएगा।
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