प्रयागराज में उमेश पाल की हत्या के बाद शाइस्ता परवीन ने अहमदाबाद की साबरमती जेल में फोनकर अपने शौहर माफिया अतीक अहमद से बात की थी। इस बहुचर्चित हत्याकांड में असद का नाम और CCTV फुटेज सामने आने के बाद शाइस्ता ने अतीक अहमद से नाराज़गी जाहिर की थी। रोते हुए कहा था कि असद अभी बच्चा है। उसे इस मामले में नहीं लाना चाहिए था।यह सुनने के बाद माफिया डॉन अतीक अहमद नाराज हो गया था। फोन पर डांटकर उसने शाइस्ता परवीन से कहा था,असद शेर का बच्चा है। उसने शेरों वाला काम किया है। आज उसकी वजह से ही मैं 18 साल बाद चैन की नींद सोया हूं। उमेश के चलते मेरी नींद हराम हो गई थी। अब तुम बेवजह बात करके मेरा मूड न खराब करो। सब मैनेज हो जाएगा।अब सबसे पहले अतीक की नींद हराम होने की वजह जान लेते हैं.माफिया अतीक अहमद का अपनी बीवी शाइस्ता परवीन से यह कहना कि उमेश पाल की वजह से 18 सालों से मेरी नींद हराम थी। इसकी सबसे बड़ी वजह थी कि माफिया को सजा का डर सता रहा था। अतीक अहमद के खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, धमकी, मारपीट, जमीन कब्जाने जसे गंभीर 101 केस प्रदेश के विभिन्न थानों में दर्ज हैं।जुर्म की दुनिया से राजनीति की राहों पर निकले अतीक ने शाम, दाम, दंड और भेद की नीति अपनाकर अभी तक एक भी केस में सजा तक मामला ही नहीं पहुंचने दिया था। सजा नहीं होने के पीछे अतीक का सबसे बड़ा हथियार था, गवाहों को वह डरा, धमकाकर अपने साथ मिला लेना या फिर उन्हें मरवा देना।
25 जनवरी 2005 में बसपा विधायक राजू पाल के मर्डर केस में भी यही नीति अपनाई थी। राजू पाल मर्डर केस में उमेश पाल चश्मदीद गवाह था। अतीक अहमद ने उमेश पाल को कई बार फोनकर बयान न देने और केस से हटने को कहा और ऐसा न करने पर जान से मारने की धमकी दी। उमेश पाल नहीं माना तो 28 फरवरी 2006 को उसका अपहरण करा लिया। उसे अपने चकिया स्थित दफ्तर के टार्चर रूम में रातभर मरवाया। बिजली के शॉक दिए गए।मनमाफिक गवाही देने के लिए टार्चर किया गया। मौत के खौफ के आगे मजबूर होकर 1 मार्च 2006 को अगले दिन उमेश पाल ने अतीक के पक्ष में गवाही दे दी। उस समय सपा की सरकार थी। उमेश अपने और परिवार की जान की रक्षा के लिए सालभर चुप रहा। 2007 में विधानसभा चुनाव हुए और सपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। मायावती की नेतृत्व वाली बसपा की पूर्ण बहुमत से सरकार बनी।
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