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सोमवार, 12 दिसंबर 2022

भरद्वाज पार्क को उसका मूल स्वरूप आश्रम में लाने की साधु संतों का भाव प्रदर्शन

प्रयागराज विद्वत परिषद के प्रस्ताव के समर्थन में 2025 से पूर्व संगम नगरी के साधु संतों ने यहां महर्षि भरद्वाज के नाम पर स्थापित भरद्वाज पार्क को उसके मूल स्वरूप में लाने की सरकार से मांग के समर्थन मे भाव प्रदर्शन किया।  साधु संतों ने घंटा घड़ियाल और शंख की ध्वनि के साथ पूरे पार का भ्रमण भी किया।यहां भरद्वाज पार्क पर एकत्रित हुए साधु संतों ने हाथों में तख्तियां लेकर महर्षि भरद्वाज आश्रम को पार्क लिखे जाने का विरोध किया।जगद्गुरू श्री धराचार्य ने कहा कि प्रयागराज के मूल पुरुष महर्षि भरद्वाज के 10,000 शिष्य थे। इस आश्रम को पार्क बनाए जाने से यहां पर अश्लीलता हो रही है। साधु संतों की मांग है कि पार्क के स्थान पर आश्रम लिखा जाए और पूरे क्षेत्र को आश्रम जैसा विकसित किया जाए।जगतगुरु   ने इस पार्क की ऐतिहासिकता बताते हुए कहा कि महर्षि याज्ञवल्य ने महर्षि भरद्वाज को पहली बार रामकथा यहीं सुनाई थी। ऐसी दशा में यहां पर रामकथा होने की व्यवस्था की जानी चाहिए ना कि युवक युवतियां यहां अश्लीलता करें. 
महानिर्वाणी अखाड़े के महंत यमुनापुरी ने कहा कि भरद्वाज जी कई विद्याओं के ज्ञाता और प्रवर्तक थे और आयुर्वेद के जनक थे। ऐसी दशा में उनके नाम पर पार्क में शिक्षा के बजाय अश्लीलता होती है जो हम साधु संत बर्दाश्त नहीं करेंगे।जगद्गुरू घनश्यामाचार्य ने कहा कि हम वैष्णव के लिए यह आपत्तिजनक है कि जिस जगह से शिक्षा का प्रसार हुआ वहां पर इस समय अश्लीलता देखी जा रही है। इस आश्रम को जल्द से जल्द मुक्त किया जाए।
जगतगुरु रामेश्वराचार्य खटला  पीठाधीश्वर ने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि जहां आश्रम होना चाहिए वहां पार्क है इसे जल्द से जल्द मुक्त किया जाए।
  जानकी शरण दास जी महाराज
 ने कहा कि यहां अश्लीलता देख कर मन दुखी होता है कियहां अश्लीलता देख कर मन दुखी होता है की सभ्यता में यहां अश्लीलता देखकर मन दुखी होता है की सभ्यता में जिस स्थान पर पहला बड़ा गुरुकुल स्थापित था वहां आज युवक युवतियां अश्लीलता करते दिख रहे हैं।
भाव प्रदर्शन में लगभग दो दर्जन से अधिक संत और ब्रह्मचारी उपस्थित थे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और जिला प्रशासन से शीघ्र इस पर निर्णय लेकर विरासतनर्जीवित करने की मांग की है।

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