वैसे तो ईश्वर द्वारा दिया गया शरीर का हर अंग महत्वपूर्ण है, लेकिन ह्रदय शरीर का अति महत्वपूर्ण आंतरिक अंग है। जब तक यह धड़कता है, तब तक इसकी धड़कन पर समूचा शरीर थिरकता ( चलता) है। धड़कन बंद तो थिरकन बंद।
यह मेडिकली सवाल है कि अमूमन सबसे ज्यादा सर्दियों में ह्रदयाघात क्यों होते हैं ? लेकिन यह आजमाई हुई बात भी है कि हर मौसम की अपेक्षाकृत सबसे ज्यादा ह्रदयाघात, या रक्तचाप सर्दियों में ही देखने को मिलते हैं।
हालांकि कई जगह देख/पढ़ रहा हूँ कि सर्दियों में रक्त गाढ़ा हो जाता है जिससे रक्तचाप बढ़ जाता है, संभव है कि ऐसा होत हो। लेकिन मुझे लगता है कि सर्दियों में रक्त में जल की मात्रा बढ़ जाती है जिससे रक्तचाप बढ़ जाता है। इसके पीछे मेरा लॉजिक है कि गर्मियों में पिया हुआ जल यूरिन के अलावा पसीने आदि के रूप में भी रिमूव होता है जो सर्दियों में महज यूरिन से बाहर निकलता है, पसीना तो यदा कदा ही निकलता होगा। लिहाजा पानी की मात्रा थोड़ा बहुत बढ़ जाती होगी और अपेक्षाकृत बीपी .....। हालांकि यह परेशानी बढ़ती उम्र या अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगो मे ज्यादा होती है।
लेकिन बीते एक दो सालों से ह्रदयाघात की समस्या 50 वर्ष की कम उम्र वालो को ज्यादा देखने को मिली हैं खास तौर पर ऐसे लोग जो मेहनत से पीछे नही हटने वाले हैं। यह एक विचारणीय बिंदु है कि आखिर कम उम्र वाले सक्रिय लोगो मे यह समस्या क्यो?
आपको पता चला होगा कपिल देव, सौरभ गांगुली जैसे नामचीन खिलाड़ियों को हार्ट स्ट्रोक पड़ा। वही एक्टर राजू श्रीवास्तव को वर्क आउट के दौरान। वर्क आउट के दौरान अन्य कई युवाओं की भी खबरें पढ़ी होंगी। इसके अलावा इधर कुछ दिनों पूर्व आपने विवाह के दौरान युवाओं का दुःखद समाचार भी पढ़ा होगा। कोई युवा वरमाला तक नही पहना पाया तो कोई युवा विवाह के किसी संस्कार से पूर्व दाह संस्कार के मंच पर पहुंच गया। इन सब के पीछे हार्ट अटैक कारण सुनाई दिया।
महत्वपूर्ण व विचारणीय बिंदु है कि आखिर सक्रिय व युवा लोगो को उच्चरक्तचाप, हार्ट स्ट्रोक जैसी दिक्कतें क्यो पैदा हो रही है। इसके पीछे मिलावटी व दूषित खान पान वजह है, हवा में घुला प्रदूषण है, अनियमित दिनचर्या है। गौरयोग्य बात यह है कि इधर कोरोना संक्रमण के थमने के बाद पटरी पर लौटे जनजीवन के बाद यह आश्चर्यजनक दुःखद समाचार ज्यादा प्राप्त हुए हैं। जरूरत है।मनन कर इन असामयिक मौतों व बीमारी पर अंकुश लगाने की।
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