Breaking

मंगलवार, 22 नवंबर 2022

लेखन जप से वैश्विक स्तर पर आस्था की अलख जला रही है श्रीसीताराम नाम बैंक

लखीमपुर खीरी। अतिरिक्त समय को मर्यादापुरुषोत्तम भगवान राम व जगतजननी माता सीता की भक्ति में लगाते हुए एकता व संगठन के भाव से जीवन को कृतार्थ करने के उद्देश्य से अयोध्यापुरी से वैश्विक स्तर पर संचालित श्री सीता-राम नाम बैंक लखीमपुर खीरी जिले में 500 से अधिक सदस्यता का आंकड़ा पार कर धर्म व आस्था का जनजागरण कर रही है। खीरी जिले से इस बैंक के संयोजक वेद प्रकाश बाजपेयी हैं।
उल्लेखनीय है कि श्रीमणिरामदास छावनी सेवा ट्रस्ट, अयोध्या से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संचालित श्री सीताराम नाम बैंक के संस्थापक श्री नृत्यगोपालदास जी महाराज हैं। 
अतिरिक्त समय का सदुपयोग करते हुए आस्था व धर्म का जनजागरण करते हुए वैश्विक स्तर पर सक्रिय इस बैंक से विश्व का कोई नर, नारी, बाल-बृद्ध भी जुड़कर सीताराम लेखन जप महायज्ञ में अपनी पुण्य आहुति दे सकता है। बैंक के नियमो के तहत प्रतिदिन कम से कम एक पृष्ठ लिखना अनिवार्य है। अपनी रुचि के अनुसार किसी भी लिपि में लिखा जा सकता है। लेखन करते समय ह्रदय का भाव राममय हो।प्रयास रहे कि लेखन लाल रंग की स्याही से हो तो अतिउत्तम क्योंकि लाल रंग प्रेम का प्रतीक माना जाता है।एक लाख आस्था शब्द पूर्ण होने पर उद्यापन किया जाना चाहिए।
ईश्वर आस्था की इस अलौकिक अंतर्राष्ट्रीय पहल से प्रभावित होकर लखीमपुर खीरी संयोजक वेद प्रकाश बाजपेयी ने बीते दशक लखीमपुर खीरी जिले में इस बैंक की आधारशिला रखी थी। "अकेला ही चला था जानिब ए मंजर लोग मिलते गए कारवां बनता गया" इन पंक्तियों की तर्ज पर श्री बाजपेयी ने राम नाम की राह में आज जिले भर में इस आस्था बैंक से 500 से अधिक सदस्य जोड़ लिए हैं। जिसमे लगभग 4 साधकों ने अपनी लेखनी से एक करोड़ ईश्वर नामों का आंकड़ा पार कर लिया है। और एक दर्जन से अधिक ईश्वर आराधकों ने 50 लाख नाम पार कर लिए हैं। 50 लाख सीताराम नाम लिखने के बाद बैंक स्थायी सदस्यता प्रमाण पत्र से अलंकृत कर साधक को उत्साहित व ऊर्जित भी करती है। इसी प्रकार एक करोड़ नामों के पूरा होने के बाद आराधक विशेष सम्मान से सम्मानित किए जाते हैं। 50 लाख सीताराम नाम लिख चुके श्रीसीताराम नाम बैंक के स्थायी सदस्य सेवानिवृत्त शिक्षक अभय अग्निहोत्री बताते हैं कि यह ईश्वर आराधना में बेहद रुचिकर कार्य है। ईश्वर स्मरण के साथ अतिरिक्त समय मे लेखन व शारिरिक सक्रियता बनी रहती है, तथा मन मस्तिष्क में सकारात्मकता का संचार होता है। उन्होंने बताया कि यह बैंक भारत के अलावा 40 अन्य देशों में भी सक्रिय हैं जहां लेखन जप पुस्तिका में साधक अपने अस्था भाव को अंकित कर रहे हैं।  श्री अग्निहोत्री ने बताया कि लेखन जप साधकों के एक लाख नाम पूरे होने पर बैंक द्वारा एक पासबुक बनायी जाती है जिसमे भरी हुई कापियां जमा करने के बाद गिनती कर अंकित किया जाता है जिससे रिकार्ड बना रहता है और गणना में आसानी होती है। बताते चले बैंक द्वारा जारी लेखन जप पुस्तिका में 21312 जप नाम लिखने का स्थान होता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Comments