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सोमवार, 7 नवंबर 2022

लखीमपुर / निर्मल आश्रम में धूमधाम से मनाई गई गुरुनानक जयंती

लखीमपुर खीरी। गुरु नानक जयंती हर साल काफी धूमधाम से मनाई जाती है इस खास दिन के लिए बहुत पहले ले ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं. इस दिन प्रभात फेरियां निकाली जाती है. इन दिनों लोग गुरुद्वारों में सेवा करते हैं।गुरु नानक देव का जन्म साल 1526 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था.
गुरु नानक देव ने अपना जीवन मानव समाज के कल्याण में लगा दिया था।जानकारी के मुताबिक गुरु नानक देव जी को सिख धर्म का पहला गुरु माना जाता है. उन्हें नानक देव, बाबा नानक और नानकशाह के नाम से भी जाना जाता है. लद्दाख और तिब्बत के इलाकों में उन्हें नानक लामा कहा जाता है.  इस दिन को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है. गुरु नानक जी ने जीवन से जुड़े कई उपदेश दिए हैं, जिनका आज भी लोग पालन करते हैं. गुरु नानक देव का जन्म भोई की तलवंडी में हुआ था. इस जगह को राय भोई दी तलवंडी भी कहते हैं. आपको बता दें कि अब ये जगह पाकिस्तान के ननकाना साहिब में है. इस जगह का नाम गुरु नानक देव के नाम पर ही रखा गया था। बता दें कि राजा महाराजा रणजीत सिंह ने ‘ननकाना साहिब’ गुरुद्वारा बनवाया था।गुरुपर्व से दो दिन पहले, गुरु ग्रंथ साहिब का 48 घंटे तक अखंड पाठ किया जाता है। गुरपुरब से एक दिन पहले, नगर कीर्तन का आयोजन किया जाता है। नगर कीर्तन भक्तों द्वारा सुबह जल्दी निकाला जाता है। लोग सुंदर भजन और प्रार्थना करते हुए सड़कों पर चलते हैं। नगर कीर्तन का नेतृत्व गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी या पालकी के साथ किया जाता है।

गुरुपर्व पर, अमृत वेला के दौरान सुबह 3 बजे से सुबह 6 बजे के बीच उत्सव की शुरुआत सुबह 3 बजे से होती है। गुरु नानक की स्तुति में कथा और कीर्तन के बाद सुबह की प्रार्थनाएं गाई जाती हैं। कुछ गुरुद्वारों में रात भर प्रार्थना की जाती है। गुरु नानक जी के जन्म समय, गुरु ग्रंथ साहिब से भजन सुबह 1:20 बजे सुनाए जाते हैं। गुरुद्वारों में लंगर का आयोजन किया जाता है, एक विशेष समुदाय दोपहर का भोजन, जहां हर कोई, जाति, पंथ या वर्ग के बावजूद प्रसाद या भोजन की पेशकश करता है। यह लोगों के प्रति नि: स्वार्थ सेवा का प्रतीक है।।
अरविंद 

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