इस विषय पर हमारे कलमकार धनंजय श्रीवास्तव बेहद खूबसूरत प्रेरक प्रसंग लिख रहे हैं ...
एक बुज़ुर्ग से पूछा गया :- ज़िन्दगी में कामयाबी कैसे हासिल होती है ?
उन्होंने कहा :- "इस के जवाब के लिए आपको आज रात का खाना मेरे साथ खाना होगा...!
एक डीनर पार्टी रखी गयी ! सभी दोस्तों को आमंत्रित किया गया ! सब दोस्त रात को खाने के लिए जमा हो गए, उन्होंने सूप का एक बड़ा बर्तन लाकर सबके सामने रख दिया गया, मगर सूप को पीने के लिए सबके सामने एक-एक मीटर लम्बा हैंडिल वाला चम्मच जैसा दे दिया और सबको कहा कि "आप सबको अपने लम्बे चम्मच से सूप पीना है"।
हर शख्स ने कोशिश की लेकिन ऐसे सूप पीना नामुमकिन था ! कोई भी शख्स इस चम्मच से सूप ना पी सका ! सब नाकाम हो गए तो बुज़ुर्ग ने कहा : "मेरी तरफ़ देखो" ! उन्होंने एक चम्मच पकड़ा, सूप लिया और अपने सामने वाले साथी के मुंह में लगा दिया। अब हर शख्स ने अपना-अपना चम्मच पकड़ा और एक-दुसरे को सूप पिलाने लगे, सबके सब बहुत खुश हुए ! सूप पीने के बाद बुजुर्ग ने कहा : जो शख्स ज़िन्दगी के दस्तरख्वान पद पर रहते हुऐं सिर्फ अपना ही पेट भरने का फैसला करता हैं, जो केवल अपना फायदा सोचता है, वो कभी कामयाबी की सीढ़ी नहीं चढ़ सकता ।
याद रखें...
...हम सबकी कामयाबी का रास्ता, दुसरों की कामयाबी से हो कर गुज़रता है। आपका परिवार, पड़ोसी, गांव, कर्मचारी, सहयोगी सुखी हैं तभी आप भी खुश रह सकते हैं ! और यही असली कामयाबी हैं !
धनंजय श्रीवास्तव
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