Breaking

सोमवार, 17 अक्टूबर 2022

बुंदेलखंड / कालिंजर के किले में छिपे दस राज, विषपानोपरांत भगवान शिव ने यही की थी तपस्या

.देश में कई ऐसी रहस्यमयी जगहें हैं, जिनकी हकीकत से आज भी लोग अंजान है। इन्हीं में से एक है बुंदेलखंड का कालिंजर किला। 10 वीं शताब्दी में चन्देल राजपूतों और फिर रीवा के सोलंकियों के आधीन रहा ये किला अपने में कई राज समेटे है। आज हम आपको इससे जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताएंगे।कालिंजर पर महमूद गजनवी, कुतुबुद्दीन ऐबक, शेर शाह सूरी और हुमांयू जैसे योद्धाओं ने आक्रमण किए, लेकिन इस पर विजय पाने में असफल रहे। कालिंजर विजय अभियान में ही तोप का गोला लगने से शेरशाह की मृत्यु हो गई थी।मुगल बादशाह अकबर ने बाद में इस पर अधिकार कर लिया और किले को बीरबल को तोहफे में दे दिया था।इस किले में कई प्राचीन मंदिर भी हैं। इनमें से कई मंदिर तीसरी से पांचवीं सदी यानी गुप्तकाल के हैं।पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को शिव ने पिया था। इसके बाद वे बुंदेलखंड के इसी शिव मंदिर में तपस्या के लिए आए थे। यहीं उन्होंने अपनी ज्वाला शांत की थी।इस शिव मंदिर को नीलकंठ के नाम से जाना जाता है। वैसे तो गर्मियों के दिनों में बुंदेलखंड में सूखा पड़ जाता है। मगर मंदिर के ऊपर बह रहा जल का प्राकृतिक स्रोत कभी सूखता नहीं है। हैरानी की बात यह है कि इसी जल से मंदिर में मौजूद शिवलिंग का अभिषेक होता रहता है।कालिंजर का किला काफी रहस्यमयी है। यहां कई छोटी-बड़ी गुफाएं हैं। किले में प्रवेश के लिए सात दरवाजे बने हुए हैं और ये सभी दरवाजे एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं।बताया जाता है कि किले में स्तंभों और दीवारों में कई प्रतिलिपियां बनी हुई हैं। यहां अपार खजाना छिपा हुआ है। मगर यहां तक पहुंचने की जिसने भी हिम्मत की वो जिंदा नहीं बचा है।कालिंजर का किला 800 फीट की ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। यहां का महौल दिन में जितना शांत होता है। रात में ये उतना ही खौफनाक हो जाता है।स्थानीय लोगों के मुताबिक कालिंजर किले के पास रानी महल है। यहां रात को अक्सर घुंघरुओं की आवाज सुनाई देती है।बुंदेलखंड में कालिंजर किला अपने आप में अद्भुत है l

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Comments