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रविवार, 9 नवंबर 2025

चंडीगढ़ तमिल संगम ने गर्व और परोपकार के साथ मनाई अपनी 55वीं (एमरल्ड) वर्षगांठ

हरियाणा के राज्यपाल ने राष्ट्रीय एकता और समाज कल्याण को बढ़ावा देने में चंडीगढ़ तमिल संगम की भूमिका की सराहना की

चंडीगढ़, 9 नवम्बर 2025: पंजीकृत सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था चंडीगढ़ तमिल संगम (Tamil Manram – Regd.) ने अपनी 55वीं (एमरल्ड) वर्षगांठ बड़े उत्साह और गौरव के साथ भरथी भवन, सेक्टर 30-बी, चंडीगढ़ में मनाई। 22 सितम्बर 1971 को स्थापित यह संगम उत्तरी भारत की सबसे सक्रिय तमिल संस्थाओं में से एक है, जो तमिल पहचान, एकता और सांस्कृतिक एकीकरण का प्रतीक है तथा चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा में तमिल संस्कृति का गौरव बढ़ा रहा है।

इस भव्य एमरल्ड जयंती समारोह के मुख्य अतिथि हरियाणा के माननीय राज्यपाल प्रो. आशीम कुमार घोष थे। उन्होंने अपने संबोधन में तमिल संगम के उल्लेखनीय योगदानों की सराहना करते हुए कहा कि संगम ने तमिल संस्कृति को सहेजने के साथ-साथ सामाजिक सेवा और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में अनुकरणीय भूमिका निभाई है।

कार्यक्रम में अनेक विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे, जिनमें शामिल थे — श्रीमती स्मति राजी प्रमोद श्रीवास्तव, आईएएस, विशेष मुख्य सचिव, स्वतंत्रता सेनानी विभाग, पंजाब सरकार; श्री जे. एम. बालामुरुगन, आईएएस, अतिरिक्त मुख्य सचिव, सैनिक कल्याण विभाग, पंजाब सरकार; श्री एस. नारायणन, आईएफएस, सचिव-सह-डीजी, उच्च शिक्षा विभाग, हरियाणा सरकार; श्री सी. जी. रजनी कान्तन, आईएएस, आयुक्त-सह-सचिव, वित्त विभाग, हरियाणा सरकार; श्री एन. पद्मनाभन, आईआरएस, विशेष निदेशक, प्रवर्तन निदेशालय, भारत सरकार; डॉ. जे. गणेशन, आईएएस, सीईओ, गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण, हरियाणा; श्री एम. के. अरविंद कुमार, आईएएस, निदेशक, कोष एवं लेखा विभाग, पंजाब सरकार; श्रीमती डी. सुदर्विझी, आईपीएस, एआईजी (आंतरिक सुरक्षा), पंजाब सरकार; तथा श्री पी. अभिनंदन, डीएएनआईपीएस, डीएसपी, यू.टी. चंडीगढ़।

इस अवसर पर दिल्ली तमिल संगम के थिरु. शक्ति पेरुमल, अध्यक्ष, तथा थिरु. आर. मुकुंदन, महासचिव, सहित कार्यकारिणी सदस्यों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और गरिमामय बनाया तथा तमिल संगठनों के अंतर्राज्यीय सांस्कृतिक एकीकरण को सशक्त किया।

पिछले साढ़े पाँच दशकों से अधिक के समृद्ध इतिहास के साथ, चंडीगढ़ तमिल संगम तमिल भाषा, साहित्य, कला और विरासत का सतत संवाहक रहा है। सांस्कृतिक उत्सवों, साहित्यिक संगोष्ठियों, युवा प्रतिभा कार्यक्रमों और अंतर्राज्यीय सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से इसने उत्तर भारत के बहुसांस्कृतिक परिवेश और तमिल समुदाय के बीच मजबूत सेतु का निर्माण किया है।

तमिल जीवन मूल्यों अनबु (करुणा), सेवै (सेवा), और ओट्रमै (एकता) से प्रेरित होकर संगम ने समाजसेवा और मानव कल्याण की दिशा में कई पहलें की हैं। इनमें साप्ताहिक अन्नदानम् (भोजन सेवा), शीतकालीन कंबल वितरण, दिव्यांग और आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को साइकिल/ट्राइसाइकिल प्रदान करना, निःशुल्क स्वास्थ्य जांच एवं रक्तदान शिविर, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की बालिकाओं के विवाह में सहायता, और जरूरतमंद विद्यार्थियों को निःशुल्क अध्ययन सामग्री वितरण जैसी पहलें शामिल हैं।

इन सतत प्रयासों के माध्यम से चंडीगढ़ तमिल संगम त्रिशहर क्षेत्र में सामुदायिक सेवा और सांस्कृतिक सद्भाव का प्रतीक बन गया है। इसकी 55वीं (एमरल्ड) वर्षगांठ न केवल गौरवपूर्ण यात्रा का उत्सव है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए संस्कृति, करुणा और एकता को आगे बढ़ाने की एक नई प्रतिबद्धता भी है।

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