लखीमपुर-खीरी। “जहाँ इच्छाशक्ति प्रबल हो, वहाँ असंभव शब्द अपनी अर्थवत्ता खो देता है” इस भाव को साकार किया आदर्श मूकबधिर विद्यालय, लखीमपुर खीरी के दिव्यांग बच्चों ने, जिन्होंने अपनी प्रतिभा और परिश्रम से राजधानी लखनऊ में आयोजित दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार के दो दिवसीय दीपावली मेले में सबका मन जीत लिया।
जवाहर भवन, लखनऊ में 16 एवं 17 अक्टूबर को आयोजित इस भव्य प्रदर्शनी में मण्डल स्तरीय संस्थाओं के दिव्यांग बच्चों द्वारा निर्मित ईको फ्रेंडली दीपावली सामग्री दीपक, झूमर, मोमबत्तियाँ, झॉलर और विशेष कलात्मक दीयों की प्रदर्शनी ने सभी आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। लखीमपुर खीरी के स्टाल पर बच्चों द्वारा सृजित इन मनमोहक वस्तुओं को देखकर आगंतुकों ने प्रशंसा की झड़ी लगा दी।
विशेष छड़ तब आया जब उद्घाटन करने पहुंचे पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के प्रमुख सचिव सुभाष चन्द शर्मा ने मेला भ्रमण के दौरान इन बच्चों के रचनात्मकता की मुक्त कंठ प्रशंसा की। बताते चलें इस सृजन यात्रा की शुरुआत भी उतनी ही प्रेरणादायक रही।
बच्चों को राजधानी प्रस्थान के अवसर पर संस्था अध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार तोलानी ने लखीमपुर रेलवे स्टेशन से उत्साह और आशीर्वाद के साथ रवाना किया। ट्रेन यात्रा इन विशेष बच्चों के लिए रोमांच और अनुभवों से भरी “जीवन की सुनहरी स्मृति” बन गई। विद्यालय के प्रधानाचार्य राम दुलारे वर्मा सहित कई गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने इस पल को और भी गरिमामय बना दिया।
मेले में विद्यालय की अध्यापिका सरिता देवी के नेतृत्व में बच्चों ने न केवल स्टाल का संचालन किया बल्कि अपनी कलात्मकता से यह साबित किया कि “दिव्यांगता प्रतिभा की सीमा नहीं, बल्कि प्रेरणा का दूसरा नाम है।
” कार्यक्रम में सरोज वर्मा, आरती वर्मा, शिवानी वर्मा ने सक्रिय सहयोग प्रदान किया। प्रदर्शनी में भाग लेने वाले बच्चों सीमा राना, पल्ली देवी, कस्तूरी मिश्रा, महक, इच्छा वर्मा, छोटू मिश्रा, मयंक मिश्रा आदि ने जहाँ अपने कौशल से लोगों का दिल जीता, वहीं अन्य स्टालों से भी ज्ञान और प्रेरणा प्राप्त की।
कार्यक्रम के समापन दिवस पर संस्था अध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार तोलानी स्वयं लखनऊ पहुँचे और विद्यालय के स्टाल पर बच्चों एवं स्टाफ के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए उनके उत्साहवर्धन का संकल्प दोहराया। कुलमिलाकर यह आयोजन न केवल दीपावली के दीपों की रोशनी से जगमगाया, बल्कि इन विशेष बच्चों के आत्मविश्वास, स्वाभिमान और सृजनशीलता की ज्योति से भी प्रकाशवान हुआ, सचमुच, “दीपों से अधिक उजली हैं ये मुस्कानें।”
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