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मंगलवार, 14 अक्टूबर 2025

मक्का के सुनहरे खेतों से आत्मनिर्भर भारत की ओर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लुधियाना से जगाई नई उम्मीद

🔘 मक्का के सुनहरे खेतों से आत्मनिर्भर भारत की ओर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लुधियाना से जगाई नई उम्मीद

लुधियाना, 14 अक्टूबर। सुनहरी धूप में नहाया आईसीएआर-भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान आज उस ऐतिहासिक पल का साक्षी बना जब केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नवनिर्मित प्रशासनिक भवन का उद्घाटन करते हुए देश की कृषि आत्मनिर्भरता का नया अध्याय रचा।
मक्का के हर दाने में संभावनाओं की फसल देखते हुए श्री चौहान ने कहा "धान का मुकाबला केवल मक्का ही कर सकता है, यह फसल किसान की समृद्धि और देश की जल–बचत दोनों का समाधान है।" उनकी यह घोषणा न केवल किसानों के लिए प्रेरक थी बल्कि पंजाब के खेत-खलिहानों में नई ऊर्जा का संचार करने वाली भी साबित हुई।
इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, रवनीत सिंह बिट्टू तथा पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुडियां की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी गरिमामय बना दिया।
श्री चौहान ने बताया कि केंद्र सरकार ने पंजाब में फसल के नुकसान की भरपाई के लिए 74 करोड़ रुपये की धनराशि जारी कर गेहूं के बीज की मुफ्त आपूर्ति सुनिश्चित की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 11.09 लाख किसानों के खातों में 222 करोड़ रुपये अग्रिम रूप से हस्तांतरित किए जा चुके हैं  यह इस बात का प्रमाण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसान कल्याण हमारी नीति नहीं, बल्कि प्राथमिकता है।
बाढ़ से प्रभावित पंजाब के किसानों की वेदना को साझा करते हुए उन्होंने संवेदना और संकल्प दोनों को एक साथ जोड़ा  प्रधानमंत्री पंजाब के लोगों की पीड़ा को लेकर चिंतित हैं। केंद्र सरकार ने 1600 करोड़ रुपये का पैकेज दिया है ताकि बाढ़ प्रभावित परिवार फिर से जीवन की राह पर लौट सकें।"
उन्होंने बताया कि 36,703 घरों के पुनर्निर्माण के लिए प्रति परिवार 1 लाख 60 हजार रुपये स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें 1.20 लाख रुपये मकान निर्माण और 40 हजार रुपये मजदूरी व शौचालय निर्माण के लिए होंगे। गांवों की धरती से उठती आत्मनिर्भर भारत की सुगंध को महसूस कराते हुए श्री चौहान ने आत्मीय अपील की "हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम देश में बनी वस्तुएं ही खरीदें। जब देशवासी स्वदेशी अपनाते हैं, तो न केवल स्थानीय कारीगर मुस्कुराते हैं बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था भी सशक्त होती है।" कार्यक्रम के दौरान उन्होंने महिला स्वयं सहायता समूहों की “दीदियों” से संवाद किया, किसानों से सीधे संवाद साधा और ग्रामीण विकास योजनाओं के लाभार्थियों की कहानियाँ सुनीं यह संवाद केवल नीतिगत नहीं, मानवीय भी था।
लुधियाना की माटी से उठी यह पुकार आज पूरे देश में गूंज रही है "कृषि में अनुसंधान, किसान में विश्वास और विकास में सहयोग, यही है आत्मनिर्भर भारत का रास्ता।"

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