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मंगलवार, 16 सितंबर 2025

"साहित्य रत्नाकर" के प्रकाश से दैदीप्यमान हुए शब्द साधक गोविन्द गुप्ता

🔘 "साहित्य रत्नाकर" के प्रकाश से दैदीप्यमान हुए शब्द साधक गोविन्द गुप्ता

लखीमपुर खीरी। लखीमपुर खीरी की सांस्कृतिक धरती पर एक बार फिर इतिहास लिखा गया। मोहम्‍मदी निवासी प्रख्यात कवि, साहित्यकार एवं समाजसेवी गोविन्द गुप्ता को उनके साहित्यिक, सांस्कृतिक और सामाजिक योगदान के लिए विश्व गुरु भारत फाउंडेशन ट्रस्ट, संयुक्त गुरुकुल परिषद एवं सनातन अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राजभाषा दिवस कार्यक्रम में “साहित्य रत्नाकर सम्मान 2025” से विभूषित किया गया।
गोविन्द गुप्ता ने अपने जीवन का संकल्प यही बनाया कि “कस्बे और जनपद को विश्व पटल पर पहचान दिलानी है”। आज जब उनका नाम साहित्यिक संसार में देश-विदेश तक सम्मान के साथ लिया जाता है, तो यह उनके अथक प्रयासों और कर्मठता का परिणाम है। उनकी कविताएँ, कहानियाँ और गीत समाज के हर वर्ग को छूते हैं, कभी जागरूक करते हैं, कभी प्रेरणा देते हैं, तो कभी राष्ट्रीय चेतना का दीप जलाते हैं। उनके रचे गीतों को बड़े-बड़े गायक सुरों में ढाल चुके हैं, चाहे राम मंदिर, वोटर जागरूकता अभियान हो या तिरंगा यात्रा, हर गीत में समाज सेवा और राष्ट्र प्रेम की गूंज सुनाई देती है। सिर्फ साहित्य ही नहीं, समाज सेवा में भी वे मिसाल बने। 500 से अधिक कन्याओं के सामूहिक विवाह उनके संयोजन में संपन्न हुए, यह कार्य उनकी मानवता और करुणा का जीवंत उदाहरण है। साथ ही, वे गायत्री परिवार से भी जुड़े रहे और समाज उत्थान के कई आयाम गढ़े। उनकी स्थापित संस्था कथाकुंज साहित्य सेवा परिषद, जो भारत सरकार से पंजीकृत है, आज देश-विदेश के बड़े साहित्यकारों को जोड़ने वाला मंच बन चुकी है। इसी परिषद ने मोहम्‍मदी में विश्व स्तरीय केतकी व गोमती साहित्य रत्न सम्मान प्रारम्भ किया, जिसके अंतर्गत अब तक 70 से अधिक साहित्यकार सम्मानित हो चुके हैं। इस वर्ष भी 7 अक्टूबर को यह आयोजन नई ऊँचाइयों के साथ होने जा रहा है। गोविन्द गुप्ता की यह उपलब्धि न केवल मोहम्‍मदी, न केवल खीरी, बल्कि पूरे भारत का गौरव है। उनकी रचनात्मक साधना यह संदेश देती है कि अगर नीयत समाज के लिए हो और कलम राष्ट्र के लिए चले, तो एक छोटे कस्बे का बेटा भी विश्व के साहित्यिक आकाश में सूर्य की तरह चमक सकता है।

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