प्रयागराज मुंडेरा मंडी में अधिकारियों द्वारा सरकारी दुकानों के साथ खूब हो रही सौदे बाज़ी कलयुगी सगे भाई ने मंडी सचिव मिलाकर निजी स्वार्थवश कम पढ़े लिखे सगे भाई से मुंडेरा मंडी में स्थित दुकान नम्बर 9 ब हड़प लिया है शिकायत करने के बाद भी निजी स्वार्थ के सामने मंडी सचिव ने घुटना टेक दिया है जिसमे भाई का हक मरवाने में मंडी सचिव की अहम भूमिका नज़र आ रही है आखिर कौन सा ऐसा भारी फायदा मुज्तबा से सचिव को दिख रहा ये भी एक बड़ी जांच का विषय है सरकारी अभिलेखों में भी किया है भारी हेराफेरी मंडी के कर्मचारियों द्वारा की गई है ठगी का शिकार भुक्तभोगी ने उच्चस्तरीय किसी अन्य विभाग से जांच कराने की शासन व प्रशासन से गुहार लगाई है जानकारी के मुताबिक मोहम्मद मुस्तकीम पुत्र स्वर्गीय गुलाम मुस्तफा निवासी 106/A निहालपुर थाना खुल्दाबाद जनपद प्रयागराज का मूल निवासी है एवं शांतिप्रिय व बहुत ही कम पढा लिखा है जिसका फायदा कलयुगी भाई ने मंडी सचिव से मिलकर भारी फायदा देकर उम्मीद से ज्यादा उठाया है जो सुनकर अब एक भाई दूसरे भाई पर सपनों में भी भरोसा करने के लिए सोचना पड़ेगा बता दें कि मोहम्मद मुस्तकीम व गुलाम मुज्तबा दोनों सगे भाई है जिसमे बड़ा भाई गुलाम मुज्तबा है और तीसरा भाई मुस्ताक है जिसको दोनों भाइयों ने मुस्ताक को उच्च शिक्षा ग्रहण करवाया और उसको इंजीनियरिंग की नौकरी भी दिलवा दिया था जिसके बाद इंजीनियरिंग की नौकरी करने के लिए बाहर चला गया था जबकि दोनों भाइयों के अलावा कारोबार में मुस्ताक की कोई भूमिका नही थी वो करीब 15 वर्ष पूर्व से ही नौकरी करने लगा था और दोनों भाई रज़ामंदी से एक दूसरे पर विश्वास करके बचपन से ही साथ मे सब्ज़ी का कारोबार करते चले आ रहे है गुलाम मुज्तबा एक शातिर दिमाग का व्यक्ति है और प्रार्थी एक सीधा स्वभाव का व्यक्ति है सन 1987 में मंडी समिति का लाइसेंस प्रार्थी ने बनवाया था जिस लाइसेंस पर दोनों भाइयों ने साथ मे मिलकर काम कर रहे थे कुछ दिनों बाद सब्ज़ी मंडी मुंडेरा स्थानांतरित हो गई प्रार्थी लाइसेंस बराबर समय से रिनीवल कराता चला आ रहा था सन 2004 में मुंडेरा मंडी में जब दुकान आवंटित होने लगी तो प्रार्थी ने एक दुकान नम्बर 9 ब को बोली बोलकर आवंटित करवाया था जिसमे दोनों भाइयों ने पैसे का इंतजाम करके मंडी को अदा किया जिसमे ज्यादा पैसा प्रार्थी का लगा था वो अपने साथियों से कर्ज लेकर व पत्नी का जेवर बेचकर दिया था गुलाम मुज्तबा का थोड़ा ही पैसा लगा था गुलाम मुज्तबा शुरू से ही एक शातिर दिमाग का था उसने सोचा कि मेरा भाई पढा लिखा नही है जो बता दूंगा वो मान लेगा लिखा पढ़ी का काम गुलाम मुज्तबा ही देखता था यहीं से गुलाम मुज्तबा की नीयत खराब हो जाती है और अपना काम करना शुरू कर देता है और मंडी के अधिकारियों से मिलकर दुकान का प्रोपराइटर खुद बन बैठता है और प्रार्थी को संतुष्ट करने के लिए मोहम्मद मुस्तकीम व मोहम्मद मुस्ताक के नाम से फर्म बनवा देता है और आकर प्रार्थी से कहने लगा कि इसमें हम दोनों भाइयों का बराबर का हिस्सा है जिसमे अहम भूमिका तुम्हारी है प्रार्थी तो कम पढ़ा लिखा था ही अपने कलयुगी भाई की बातों में आकर खुश हो जाता है और संतुष्ट होकर दोनों भाई साथ मे काम करने लगते हैं सन 2009 में गुलाम मुज्तबा ने सैफ़ुद्दीन से सरकारी संपत्ति दुकान नम्बर 9 ब के बारे में व्यापार करने के नाम पर मोटी रकम लेकर व उसके बदले में अपनी आवंटित दुकान नम्बर 9 ब सैफ़ुद्दीन को दे देता है बिना प्रार्थी से पूछे ये बात प्रार्थी को कानो कान पता नही चलती है गुलाम मुज्तबा रात को जब घर पर आता है तो प्रार्थी से कहता है कि मंडी में एक स्टाम्प जमा करना है उसपर हस्ताक्षर कर दो शातिर गुलाम मुज्तबा प्रार्थी पर अपना इतना विश्वास जमा लेता है कि प्रार्थी गुलाम मुज्तबा पर आंख बंद कर विश्वास करता रहता है प्रार्थी को क्या मालूम कि उसी का कलयुगी सगा भाई अपने भाई व उसके परिवार को रोड पर लाने का मिशन धीरे धीरे बना रहा है विश्वास में आकर प्रार्थी ने हस्ताक्षर कर दिया था कुछ दिन बाद गुलाम मुज्तबा ने सैफ़ुद्दीन से व्यापार के नाम पर ली गई मोटी रकम की बेईमानी कर लेता है और रुपए डकार जाता है सैफ़ुद्दीन ने न्यायालय की शरण लिया जबकि सैफ़ुद्दीन का मामला न्यायालय में अभी भी विचाराधीन है जबकि दुकान एक सरकारी संपत्ति है गुलाम मुज्तबा ने डीड के नाम पर सैफ़ुद्दीन से लाखों रुपए ले लिया था सरकारी संपत्ति के नाम पर आवंटित दुकान का किसी भी प्रकार का सौदा करना एक गंभीर अपराध है और ये अपराध गुलाम मुज्तबा ने किया है लेकिन मंडी प्रशासन ने गुलाम मुज्तबा के विरुद्ध आज तक कोई कठोर कार्रवाई नही किया है जिससे ये साफ प्रतीत होता है कि मंडी के सचिव द्वारा निजी स्वार्थ के चलते अधिकांश दुकाने पार्टनर डीड पर चल रही है और डीड के नाम पर सचिव को लंबा फायदा होता होगा ये भी एक बड़ी जांच का विषय है सरकारी संपत्तियों को किराए पर देने का कोई प्राविधान नही है प्रार्थी के नाम से मंडी समिति ने 30 जून 2021 को रिनीवल करवाया और गुलाम मुज्तबा द्वारा डीड भी बनवाया जिसकी फोटो कॉपी प्रार्थी के पास है अब यही से मंडी समिति के सचिव व लिपिकों द्वारा निजी स्वार्थ के बल पर प्रार्थी का रिनीवल लाइसेंस बदलकर उसी तारीख को मुज्तबा के नाम से लाइसेंस रिनीवल कर दिया जाता है ये बात प्रार्थी को भनक तक नही रहती मुज्तबा के लाइसेंस रिनीवल में न किसी अधिकारी की मुहर और न किसी अधिकारी की आख्या नही लगी है जबकि प्रार्थी के रिनीवल लाइसेंस में अधिकारी के हस्ताक्षर व मुहर है इसी बीच गुलाम मुज्तबा ने उसी दुकान को मंडी सचिव से मिलकर तथा सचिव को सेटिंग करके और किसी व्यक्ति से व्यापार के नाम पर लम्बी रकम लेकर डीड बनवा दिया है करीब 1 माह पहले जब प्रार्थी ने अपने कलयुगी भाई गुलाम मुज्तबा से कहा कि अब मुझे मुंडेरा मंडी में व्यापार करना है तभी गुलाम मुज्तबा के तेवर बदल जाते है और कहता है कि उस दुकान में तुम्हारा कुछ भी नही है मैंने व्यापार करने के लिए किसी और को दुकान दे दिया है तभी प्रार्थी के पैरों तले से जमीन खिसक जाती है और वो प्रार्थी परेशान हो जाता है जब प्रार्थी गुलाम मुज्तबा से दुकान का अभिलेख मांगता है तो मुज्तबा कोई भी पेपर देने से इनकार कर देता है अब प्रार्थी को अपने कलयुगी भाई की करतूत मालूम पड़ने लगती है कि मेरे ही सगे भाई ने मेरा पैर किस तरह से अभी तक काट रहा था जब प्रार्थी के पास कोई भी दुकान का अभिलेख नही रहता तो प्रार्थी किसी अधिवक्ता से मिलता है तो अधिवक्ता द्वारा आर टी आई से मंडी समिति के सारे अभिलेख निकाले जाते हैं जब आर टी आई से सूचना मिलती है तो दुकान का पेपर देखने के बाद पूरा मामला खुलता है कि जब प्रार्थी का लाइसेंस 2021 में रिनीवल हुआ था वो पेपर गायब है और रिनीवल में लगे स्टाम्प मोहम्मद मुस्तकीम के नाम से लगा हुआ है जिससे कि साफ प्रतीत होता है कि मंडी समिति के कर्मचारियों द्वारा सारा अभिलेखों में भारी फेरबदल किया गया है जब 2016 में लाइसेंस गुलाम मुज्तबा के नाम से रिनीवल हुआ था तो स्टाम्प कृषि उत्पादन मंडी समिति के नाम लगा हुआ है इसके पहले का स्टाम्प गुलाम मुज्तबा के नाम से लगा हुआ है ये अभिलेख देखने के बाद ही अधिकारी द्वारा सरकारी अभिलेखों में किए गए भारी हेराफेरी का पर्दाफाश हो सकता है अब इसी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि कदम कदम पर मंडी प्रशासन का मुज्तबा का साथ देना और इतना बड़ा मुज्तबा द्वारा फ्राड करने के बाद भी मंडी प्रशासन द्वारा गुलाम मुज्तबा के ऊपर या दुकान नम्बर 9 ब पर कार्रवाई न करना इससे साफ प्रतीत होता है कि मंडी के सचिव व कर्मचारी सहित गुलाम मुज्तबा से पूरी तरह मिल चुके हैं। लेकिन इन पर कार्रवाई करने से मंडी प्रशासन क्यों कतरा रहा है ये भी एक बड़ी जांच का विषय है ।अब गुलाम मुज्तबा की नीयत पूरी तरह से खराब हो गई है और अब वो प्रार्थी को दुकान में हिस्सा नही देना चाहता यदि प्रार्थी को दुकान में हिस्सा नही मिलता तो प्रार्थी का परिवार भुखमरी के कगार पर आ जाएगा और प्रार्थी व उसके परिवार में किसी भी सदस्य के साथ कुछ होता है तो इसका जिम्मेदार मंडी प्रशासन व गुलाम मुज्तबा होंगे प्रार्थी के सगे भाई द्वारा किए गए बेईमानी से प्रार्थी व उसका परिवार पूरी तरह से सदमे में है एक दुकान कई दावेदार है मामले का जब तक निस्तारण नही हो जाता किसी भी दावेदार को दुकान पर कब्ज़ा न दिया जाए यदि बिना मामले का निस्तारण किए बगैर दुकान पर किसी को कब्ज़ा दिया जाता है तो इसमें किसी भी प्रकार का भारी विवाद उत्पन्न होता है तो इसका जिम्मेदार मंडी प्रशासन और गुलाम मुज्तबा होंगे भाई का हक मारना ये एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है और ये अपराध गुलाम मुज्तबा और मंडी सचिव ने मिलकर किया है गुलाम मुज्तबा ने भाई के हक के साथ साथ ये और लोगों के साथ भारी बेईमानी व सरकारी अभिलेखों में फेरबदल करवाया है जो कि ये एक बहुत ही गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है इसपर कठोर कार्रवाई होना न्यायहित में अति आवश्यक है 30 अप्रैल 2025 को मंडी सचिव द्वारा प्रार्थी व सैफ़ुद्दीन व गुलाम मुज्तबा को पत्र मिला जिसमे कहा गया कि 6 मई 2025 को व्यक्तिगत सुनवाई है 6 मई को तीनों लोग उपस्थित होते हैं तो मंडी सचिव द्वारा किसी से भी कोई सुनवाई न करते हुए तीनों लोगों से उपस्थित पत्र पर मंडी सचिव द्वारा हस्ताक्षर करवा लिया जाता है और 9 मई 2025 को नगर मजिस्ट्रेट को मनगढ़ंत रिपोर्ट बनाकर भेजी जाती है कि 6 मई को तीनों लोगों की सुनवाई किया जिसमें निर्णय लिया जाता है कि दुकान के स्वामी गुलाम मुज्तबा हैं बाकी लोगों के अभिलेखों को मनगढ़ंत बतला दिया जाता है जबकि वर्तमान समय मे सैफ़ुद्दीन का मामला न्यायालय में विचाराधीन है उसके बावजूद ये रिपोर्ट मंडी सचिव द्वारा भेजी जाती है जिससे कि साफ प्रतीत होता है कि मंडी सचिव पक्षपात करते हुए अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं और अपना पक्षपाती फैसला सुना रहे है ऐसी स्थिति में मंडी सचिव से प्रार्थी को न्याय मिलने की उम्मीद नही है ये मामला अत्यंत गंभीर है इस मामले को किसी अन्य विभाग के सक्षम अधिकारी द्वारा निष्पक्ष जांच करवाई जाए जिससे कि प्रार्थी को न्याय मिल सके और मुंडेरा मंडी में एक बड़ी घटना घटने से रोका जा सके क्योंकि उपरोक्त मुंडेरा मंडी सचिव पक्षपात कर भारी विवाद उत्पन्न करवाना चाहते हैं फिलहाल प्रार्थी ने मंडी समिति के जिम्मेदार व लिपिकों की शिकायत संबंधित विभाग के आलादिकारियो सहित मुख्यमंत्री से किया है कौन सा ऐसा विशेष फायदे के लिए सचिव मंडी में भारी विवाद उत्पन्न करवाना चाहते है अब देखना ये है कि आलादिकारियो द्वारा सचिव पर कौन सी कार्रवाई होती है कि भारी विवाद उतपन्न होने का तमाशा मंडी सचिव देखना चाहते हैं
रविवार, 11 मई 2025
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प्रयागराज मुंडेरा मंडी में अधिकारियों द्वारा सरकारी दुकानों के साथ खूब हो रही सौदे बाज़ी व हेराफेरी
प्रयागराज मुंडेरा मंडी में अधिकारियों द्वारा सरकारी दुकानों के साथ खूब हो रही सौदे बाज़ी व हेराफेरी

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