पटना तेज प्रताप यादव द्वारा कल शाम अपने सोशल मीडिया पर एक लड़की के साथ फोटो शेयर करने के बाद राजद सुप्रीमो लालू यादव ने उन्हें आज पार्टी से निष्कासित कर दिया। इस घटना ने बिहार की सियासत में तूफान खड़ा कर दिया है। लालू यादव का यह कठोर कदम एक वायरल सोशल मीडिया पोस्ट और तेज प्रताप के तलाक विवाद के बीच आया है। बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यह कार्रवाई छोटे बेटे तेजस्वी यादव की छवि को बचाने की रणनीति मानी जा रही है। उनके निष्कासन ने राजद के आंतरिक समीकरणों को हिलाकर रख दिया है।तेज प्रताप यादव के प्रकरण की शुरुआत शनिवार को हुई, जब उनके सोशल मीडिया अकाउंट से एक युवती के साथ फोटो वायरल हुआ। इस पोस्ट में तेज प्रताप ने दावा किया कि वह और युवती 12 साल से रिलेशनशिप में हैं। पोस्ट में लिखा था कि वह इस रिश्ते को सार्वजनिक करना चाहते हैं। हालांकि, पोस्ट कुछ देर बाद डिलीट कर दी गई। लेकिन तब तक यह सियासी गलियारों और आम लोगों के बीच चर्चा का विषय बन चुकी थी। तेज प्रताप निष्कासन की यह घटना राजद की छवि पर सवाल उठा रही है।लालू प्रसाद यादव ने रविवार को तेज प्रताप यादव के निष्कासन का ऐलान सोशल मीडिया पर किया। उन्होंने लिखा कि तेज प्रताप का व्यवहार पार्टी के सामाजिक न्याय और पारिवारिक मूल्यों के खिलाफ है। लालू ने कहा, ‘निजी जीवन में नैतिकता की अवहेलना हमारी लड़ाई को कमजोर करती है। इसलिए, तेज प्रताप को छह साल के लिए पार्टी और परिवार से निष्कासित किया जाता है। उनके निष्कासन को लालू ने लोकलाज और पारिवारिक मूल्यों से जोड़ा। उन्होंने कहा कि वह हमेशा लोकजीवन में मर्यादा के हिमायती रहे हैं।’तेज प्रताप निष्कासन का फैसला बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर लिया गया माना जा रहा है। तेजस्वी यादव, जो राजद के स्टार प्रचारक और विपक्ष के नेता हैं, की छवि पर तेज प्रताप की हरकतों का असर पड़ रहा था। तेज प्रताप का तलाक मामला पहले से ही कोर्ट में है। वायरल फोटो ने उनकी छवि को और नुकसान पहुंचाया। तेजस्वी ने इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि मर्यादा तोड़ने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। तेज प्रताप निष्कासन से तेजस्वी की सियासी राह आसान होने की उम्मीद है।तेज प्रताप निष्कासन के बाद उन्होंने दावा किया कि उनका सोशल मीडिया अकाउंट हैक हुआ था। उन्होंने कहा कि उनकी तस्वीरों को गलत तरीके से एडिट कर बदनाम करने की साजिश रची गई। तेज प्रताप ने अपने समर्थकों से अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की। लेकिन, इस दावे को राजद नेतृत्व ने खारिज कर दिया। तेज प्रताप निष्कासन ने उनके समर्थकों को भी निराश किया है।तेज प्रताप निष्कासन का फैसला राजद के लिए फायदेमंद हो सकता है। बिहार चुनाव में तेजस्वी की स्वच्छ छवि को बनाए रखने के लिए यह कदम जरूरी माना जा रहा है। लेकिन, तेज प्रताप के समर्थक इस फैसले से नाराज हैं। पार्टी के भीतर गुटबाजी बढ़ने की आशंका है। तेज प्रताप निष्कासन ने राजद के कार्यकर्ताओं के बीच असमंजस पैदा कर दिया है। कुछ का मानना है कि यह कदम पार्टी की एकता को कमजोर कर सकता है।तेज प्रताप निष्कासन के बाद विपक्ष ने लालू परिवार पर निशाना साधा। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि राजद में परिवारवाद और नैतिकता का अभाव है। उन्होंने तेज प्रताप निष्कासन को लालू के सियासी ड्रामे का हिस्सा बताया। विपक्षी दलों का कहना है कि यह कदम तेजस्वी को मजबूत करने की रणनीति है। तेज प्रताप निष्कासन ने बिहार की सियासत में नई बहस छेड़ दी है।तेज प्रताप निष्कासन ने राजद के परिवारवाद को फिर से चर्चा में ला दिया है। लालू ने पहले तेजस्वी को पार्टी में बड़ा पद देकर तेज प्रताप को किनारे किया था। अब निष्कासन ने साफ कर दिया कि तेजस्वी ही लालू की सियासी विरासत के वारिस हैं। तेज प्रताप निष्कासन से यह सवाल उठ रहा है कि क्या राजद में परिवार के बाहर के नेताओं को मौका मिलेगा।
तेज प्रताप निष्कासन के बाद उनकी सियासी राह मुश्किल हो सकती है। छह साल का निष्कासन उन्हें बिहार चुनाव से बाहर रखेगा। हालांकि, तेज प्रताप के समर्थक उनके लिए नई पार्टी बनाने की बात कर रहे हैं। तेज प्रताप निष्कासन ने राजद के सामने नेतृत्व संकट को उजागर किया है। लालू और तेजस्वी अब इस नुकसान को कैसे नियंत्रित करते हैं, यह देखना होगा।
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