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रविवार, 6 अप्रैल 2025

#devotional : श्री राम कथा मां कल्याणी देवी मंदिर

प्रयागराज श्री नव संवत्सर मानस समिति के तत्वद्यान में मां कल्याणी देवी परिसर में बोलते हुए मानस मर्मज्ञ कथावाचक डॉ अनिरुद्ध जी महाराज ने बताया कि सरभंग ऋषि के आश्रम से वन की ओर बढ़ने पर रास्ते में हड्डियों का ढेर मिला। साथ चल रहे ऋषियों से भगवान राम ने उसके बारे में पूछा तो ऋषियों ने बताया कि यह राक्षसों द्वारा हत्या किए गए ऋषियों की हड्डियां हैं। निश्चिर हीन करउ महि - भुज उठाउ प्रण किंह: - डॉ अनिरुद्ध जी , अगस्त्य मुनि के बताने पर भगवान राम दंडकारण्य में गोदावरी के तट पर (वर्तमान नासिक) स्थित पंचवटी पर जाकर वही निवास करिए । पंचवटी में राम जी ने लक्ष्मण जी को उपदेश दिया। लक्ष्य साधन, उत्तम चरित्र धर्म अधर्म में अंतर आदि की विस्तृत चर्चा किया। इसी स्थान पर वनचरी सूपर्णखा नाम की राक्षसी आ गई। सूपर्णखा ने भगवान राम से विवाह का प्रस्ताव रखते हुए कहा कि मुझसे अधिक सुंदर स्त्री और  आप से सुंदर कोई पुरुष भगवान ने बनाया नहीं। इसीलिए आप मुझे स्वीकार कर ले। भगवान राम ने सूपर्णखा को लक्ष्मण से विवाह करने के लिए कहा। लक्ष्मण जी ने उसे सख्ती से मना कर दिया। बार-बार प्रयास करने पर भी सफलता न मिलने पर सूपर्णखा नाराज होकर सीता जी के ऊपर झपट पड़ी तभी लक्ष्मण जी ने भगवान राम के इशारे पर उसके नाक कान काट लिए। पूज्य व्यास जी ने श्री राम कथा के सूपर्णखा प्रकरण का बड़ा रोचके सार गर्मित वर्णन करते हुए बताया कि नाक कान काटने से अपमानित सूपर्णखा ने अपने भाई रावण के पास जाकर सारी घटना बताया। सूपर्णखा ने बताया कि दो बहुत सुंदर पुरुष एक अति सुंदर स्त्री के साथ पंचवटी में टिके हैं। उन लोगों ने ही मेरी यह दुर्दशा कर दिया। इससे रावण अत्यंत नाराज हो गया। उसने सूपर्णखा का बदला लेने के लिए खर दूषण को बड़ी सेना के साथ उनसे युद्ध करने के लिए भेजा किंतु भगवान राम ने उन दोनों को भी मार डाला। रावण ने सोचा कि खर दूषण तो मेरे ही समान बलशाली है उन्हें केवल भगवान ही मार सकता है तब वह निराश व दुखी होकर  अपने मामा मारीच के पास गया और अपने सीता हरण की योजना को सफल करने के लिए मारीच को हिरण का मायावी रूप धारण करके पंचवटी जाने के लिए कहा।कार्यक्रम में श्री रामचरित मानस ग्रंथ और भगवान राम के भव्य दरबार के चित्र दिव्य आरती श्री नव संवत्सर मानस समिति के अध्यक्ष पूर्व विधायक पंडित उदयभान करवरिया , समिति के संयोजक पंडित सुशील पाठक एवं मुख्य यजमान पंडित के के पाठक, पंडित शिव बाबू त्रिपाठी आदि ने किया। अध्यक्ष पंडित उदयभान करवरिया की ओर से प्रसाद वितरित किया गया।

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