● ज़मीन की कीमत नहीं, ज़मीर की सज़ा मांगते हैं अब लोग
एल0 एन0 सिंह। प्रयागराज की पावन भूमि एक बार फिर अपराध की आंधी में कांप उठी, जब राजापुर मकसूदन मोहल्ले की मिट्टी में व्यापार की ईंटें रखने वाले अनिल पाल को रंगदारी के दावानल ने झुलसाने की कोशिश की। अनिल, जिनके जीवन की ईंट-सीमेंट की दुकान उनके परिश्रम की नींव पर खड़ी है, अचानक अपराधियों की निगाहों का निशाना बन गए।
कहा जाता है कि जब मेहनतकश आदमी ज़मीन खरीदता है, तो उसमें केवल गारा नहीं, उसका सपना जुड़ता है। मगर इसी सपने की कीमत माँग बैठे कुछ दबंग, बीस लाख रुपये की। बसनपुर से आए सुनील पटेल, भोला नाथ और असीम कुमार नामक तीन व्यक्तियों ने न केवल ज़मीन पर दावा ठोंका, बल्कि अपने इरादों को धार देने के लिए तमंचा भी लहराया।
"बीस लाख दे दो... नहीं तो ज़िंदगी की दीवार गिरा देंगे", यह शब्द अनिल के कानों में गर्म सीसा बनकर उतरे। पर साहस का अर्थ ही तब है जब डर के तमंचे के सामने भी ज़ुबान इंकार करे। अनिल ने रंगदारी देने से इनकार किया, और शायद इसी ने आरोपियों की हैवानियत को जगा दिया। उन्होंने उनके मकान की शटरिंग तोड़ डाली, मानो एक ईमानदार ज़िंदगी की नींव को ढहा देना चाहते हों।
सोरांव थाने में दी गई तहरीर के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। अब कानून की किताब में दर्ज धाराएँ उन तमंचों को चुनौती दे रही हैं, और प्रयागराज की जनता एक बार फिर उम्मीद कर रही है कि न्याय का सूरज अंधेरों को चीरते हुए उगेगा।
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