प्रयागराज कामना -यदि मृत्य के समय हमारे मन मे किसी वस्तु विशेष के प्रति कोई आसक्ति शेष रह जाती है ।कोई इक्षा अधूरी रह जाती है।कोई अपूर्ण कामना रह जाती है।तो मरणोपरांत भी वही कामना उस जीवात्मा के साथ जाती है।वासना कामना की ही साथी है। वासना का अर्थ केवल शारिरिक भोग से नही अपितु इस संसार मे भोगे हुए हर उस सुख से है ।जो उस जीवात्मा को आनन्दित करता है। फिर वो घर हो ,पैसा हो ,गाड़ी हो, रूतबा हो,या शौर्य। मृत्यु के बाद भी ये अधूरी वासनाएं मनुष्य के साथ ही जाती हैं।और मोक्ष प्राप्ति में बाधक होती है।कर्म- मृत्यु के बाद हमारे द्वारा किये गए कर्म चाहे वो सुकर्म हो अथवा कुकर्म हमारे साथ ही जाता है। मरणोपरांत जीवात्मा अपने द्वारा किये गए कर्मो की पूँजी भी साथ ले जाता है। जिस के हिसाब किताब द्वारा उस जीवात्मा का यानी हमारा अगला जन्म निर्धारित किया जाता है।कर्ज़- यदि मनुष्य ने हमने -आपने जीवन मे कभी भी किसी प्रकार का ऋण लिया हो।तो उस ऋण को यथासम्भव उतार देना चाहिए। ताकि मरणोपरांत इसलोक से उस ऋण को उसलोक में अपने साथ न ले जाना पड़े।
गुरुवार, 6 फ़रवरी 2025
मृत्यु के पश्चात मनुष्य के साथ मनुष्य की पाँच वस्तुएँ साथ जाती हैं.

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