ये चिड़िया अनहोनी का अलार्म घर में बना ले घोंसला तो इन खतरों से बचे रहेंगे आप जानें क्यों हो रही लुप्त
प्रयागराज देवभूमि है. यहां जंगल, हरियाली की कोई कमी नहीं. लेकिन, अब प्रयागराज से भी गौरैया लुप्त हो रही हैं. खासकर शहर में कई सालों से गौरैया बेहद कम देखी गई हैं. जानकार इसके पीछे कारण अंधाधुंध विकास और मोबाइल नेटवर्क के बढ़ते रेडिएशन को मानते हैं. शहर में बढ़ते रेडिएशन के कारण गौरैया अब गांव की ओर पलायन कर रही हैं. इस चिड़िया को मंडी शहर में 5G नेटवर्क आने से पहले देखा गया था, लेकिन अब मंडी शहर में इन्हें देख पाना बेहद कठिन हो चुका है.इस बारे में डॉ रेखा सिंह ने दैनिक जनजागरण को बताया कि जब वह खुद छोटी थी तब से वो गौरैया को गाँव में देखते आ रही हैं. हर एक घर में इन चिड़ियों के लिए घोंसले भी होते थे, लेकिन आज के दौर में टेक्नोलॉजी और नेटवर्क इतने स्ट्रांग हो चुके हैं कि यह छोटी सी चिड़िया इसके रेडिएशन के कारण मरने लग रही हैं. वो अपने घोंसले का पता भूल जाती हैं. भटक जाती हैं. इसलिए ये चिड़िया शहर से पलायन कर रही हैं. पर्यावरण की दृष्टि से देखें तो इन चिड़ियों का पलायन करना दुखद है.अनहोनी का अलार्म है गौरैया पुराने समय में लोग गौरैया का खास ख्याल रखते थे. हर घर में इनका घोंसला पाया जाता था. इसके पीछे का कारण ये है कि इस चिड़िया में गजब का सेंस होता है. वह किसी भी अनहोनी के पहले जोर-जोर से चहचहाने लगती है. जैसे भूकंप आना हो, घर में सांप घुसे या कोई जंगली जानवर दिख जाए तो गौरैया चिल्लाने लगती थी. इससे लोगों को खतरे का आभास हो जाता था और वे सतर्क हो जाते थे. कई बार लोग अनहोनी को टालने में कामयाब भी हो जाते थे. शहर से तो इस चिड़िया ने पलायन कर लिया है, लेकिन शहर से दूर बसे कई गांवों में गौरैया आज भी है. लेकिन शहर की अगली आने वाली पीढ़ी इसे अपने घर में नहीं देख पाएगी. शायद यहां यह कहावत सच होती दिख रही है कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी होता है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Post Comments