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शुक्रवार, 8 नवंबर 2024

जूनागढ़ से महाकुंभ में आएंगे 370 दलित संन्यासी बनेंगे पदाधिकारी


प्रयागराज सनातन धर्म के संरक्षण प्रचार - प्रसार और उसकी महत्ता के बारे में बच्चों को जानकारी देने के लिए संत महात्मा लगे हुए हैं। श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के जूनागढ़ के  जगद्गुरु शंकराचार्य गुजरात पीठाधीश्वर महेंद्रानंद गिरी महराज ने सनातन धर्म के संरक्षण के लिए सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने 907 संन्यासी बनाए हैं इसमें से 370 संन्यासी दलित समाज के है। इन सभी को सनातन धर्म के बारे में पूरी जानकारी दी गई है। सनातन धर्म के सभी कर्मकाण्ड सहित अन्य जानकारी है।जगद्गुरु शंकराचार्य गुजरात पीठाधीश्वर महेंद्रानंद गिरी महराज ने बताया कि उनका बचपन से सनातन धर्म की ओर रूझान था। उन्होंने बताया कि पूज्य गुरुदेव श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के संरक्षक और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी हरिगिर महराज के सानिध्य में आने के बाद और उनकी प्रेरणा से सनातन धर्म के लिए कार्य शुरू किया। महामंडलेश्वर स्वामी महेन्द्रानंद गिरी ने बताया कि  सनातन धर्म को संरक्षित करने, प्रचार - प्रसार और लोगों को जोडना शुरू किया। इस दौरान 907 लोगों को सनातन धर्म में लाकर संन्यासी बनाया है जिसमें 370 दलित लोग हैं। यह सभी महाकुंभ -2025 में प्रयागराज आ रहे हैं इनको अलग - अलग जिम्मेदारी दी जाएगी जिसमें महामंडलेश्वर, मण्डलेश्वर, महंत, पीठाधीश्वर, श्रीमहंत, थानापति सहित अन्य पद हैं। उन्होंने बताया कि प्रयागराज के मौजगिरि में करीब चार माह पूर्व दलित कैलाशानंद को महामंडलेश्वर बनाया गया था। 
उन्होंने बताया समाज और समय बदल रहा है ऐसे में सनातन धर्म को संरक्षित करने, उसका प्रचार - प्रसार करने के लिए समाज के सभी वर्गो के बड़ी संख्या में योग्य लोगों को जोड़ा जा रहा है और उनसे सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार और आने वाली पीढ़ियों को जानकारी देने की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। जगद्गुरु शंकराचार्य गुजरात पीठाधीश्वर महेंद्रानंद गिरी महराज  ने बताया कि आज कोई भी मजहब (धर्म) हो, सभी के निशाने पर सनातन धर्म और उसके लोग हैं ऐसे में सनातन धर्म के सभी लोगों को जागरूक करने और अपनी पीढ़ियों को सनातन धर्म की प्राचीनता और उसके महत्व की जानकारी दी जा रही है। इससे जहां लोगों में जागरूकता बढ़ेगी और सनातन धर्म संरक्षित होगा।गुजरात के जूनागढ़ में भगवान गिरिनार की परिक्रमा और चार दिवसीय विशाल मेला 12 नवंबर से शुरू होकर 16 नवंबर तक चलेगा। इस परिक्रमा में देश से बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। चार दिवसीय गिरिनार की परिक्रमा के विशाल मेले में प्रतिदिन लाखों लोग भण्डारे का प्रसाद ग्रहण करते हैं। मेला आयोजन समिति के व्यवस्थापक जूना अखाड़ा के जगद्गुरु शंकराचार्य गुजरात पीठाधीश्वर महेंद्रानंद गिरी महराज ने बताया कि भगवान गिरिनार की परिक्रमा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती है। उन्होंने कहा कि यह स्थली भगवान श्रीकृष्ण की लीला भूमि रही है ऐसे में देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु परिक्रमा में शामिल होने के लिए जूनागढ़ आते है और भगवान गिरिनार की परिक्रमा करके अक्षय पुण्य के भागी बनते है।

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