अलीगढ़ एडीजे फास्ट ट्रैक द्वितीय राघवेंद्र मणि की अदालत ने साक्ष्यों और गवाही के आधार पर मारपीट, धमकी देने और किशोर न्याय अधिनियम के तहत दोषी पाये गये ट्यूशन शिक्षक को सजा सुनाई।अलीगढ़ कक्षा 2 के छात्र को बेरहमी से पीटने के दोषी पाये गए ट्यूशन शिक्षक को अदालत ने 3 साल के कारावास और 58 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। 6 साल पहले थाना गांधी पार्क क्षेत्र में हुई यह घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई थी।
विकास नगर नौरंगाबाद निवासी अमित कुमार ने 18 नवंबर 2018 को थाना गांधी पार्क में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें उन्होंने कहा था कि उनका सात साल का बेटा अनुज (7 वर्ष) एक निजी स्कूल में कक्षा 2 में पढ़ता है। उसको ट्यूशन देने के लिए कमल शर्मा उर्फ पिंकी निवासी शास्त्री नगर, गांधीपार्क उनके घर पर आते थे। इस बीच उनका बेटा डरा-सहमा सा रहने लगा। उन्होंने इसका कारण जानने की काफी कोशिश की पर अनुज ने कुछ नहीं बताया। इस पर उन्होंने मनोचिकित्सक से परामर्श लिया जिसमें पता चला कि अनुज किसी बात से डर गया है।उन्होंने सच जानने को घर में सीसीटीवी कैमरे लगवाए। 16 नवंबर 2018 को सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखने पर पता चला कि अनुज को घर के ही कार्यालय में बैठाकर पढ़ाने वाला कमल शर्मा उर्फ पिंकी बेरहमी से पीट रहा है। वह अपनी मोटरसाइकिल की चॉबी और बॉल पैन अनुज को चुभो रहा है। बच्चे ने बताया कि वह काफी समय से उसके साथ ऐसा कर रहा है। कई बार उसका गला दबाया और अपहरण की धमकी दी।पुलिस ने जांच के बाद ट्यूशन शिक्षक कमल शर्मा उर्फ पिंकी के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया। एडीजे फास्ट ट्रैक द्वितीय राघवेंद्र मणि की अदालत ने साक्ष्यों और गवाही के आधार पर मारपीट, धमकी देने और किशोर न्याय अधिनियम के तहत दोषी पाये गये ट्यूशन शिक्षक को सजा सुनाई। अदालत ने हमले की धारा में उसे दोषमुक्त कर दिया।
शरीर से अधिक मन को कष्ट पहुंचाने वाली घटना अदालत
एडीजे फास्ट ट्रैक कोर्ट संख्या दो जज राघवेंद्र मणि ने फैसले सुनाते हुए टिप्पणी की है कि अपराध के माध्यम से अभियुक्त ने ऐसा कृत्य किया जो बालक के शरीर और उससे भी अधिक मन को कष्ट करने पहुंचाने वाला है। इसका प्रभाव आसानी से बालक के मन से विस्मृत नहीं होगा। सिद्धदोष का ऐसा आचरण पावन गुरु-शिष्य परंपरा के नितांत प्रतिकूल है। ऐसी स्थिति में न्यायालय के मतानुसार प्रकरण में विशिष्ट तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए सिद्धदोष कमल शर्मा उर्फ पिंकी धारा 4 परिवीक्षा अधिनियम का लाभ पाने प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
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