उत्तर प्रदेश के बनारस में बीएचयू आईआईटी की छात्रा से बहुचर्चित गैंगरेप कांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो आरोपियों को सशर्त जमानत दे दी है. वहीं तीसरे आरोपी की जमानत अर्जी पर 16 सितंबर को सुनवाई होगी. पिछले साल 2 नवंबर 2023 की देर रात हुई इस वारदात को लेकर बनारस में काफी बवाल हुआ था. कई दिनों तक लोगों ने पीड़ित छात्रा को न्याय दिलाने के लिए कैंडल मार्च निकालते रहे थे. बनारस पुलिस ने पहले यह मुकदमा छेड़छाड़ की धाराओं में दर्ज किया था. बाद में मजिस्ट्रेट के सामने बयान के बाद इसे गैंगरेप की धाराओं में तरमीम किया गया केस डायरी के मुताबिक पीड़ित छात्रा बीएचयू आईआईटी में बीटेक द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रही थी. 2 नवंबर की रात करीब डेढ़ बजे वह अपने हॉस्टल न्यू गर्ल्स आईआईटी बीएचयू से निकलकर स्मृति छात्रावास के चौराहे पर पहुंची. जहां से उसका दोस्त रितेश भी उसके साथ हो लिया. दोनों अभी कुछ दूर ही चले थे कि कर्मन बाबा मंदिर के पास बाइक सवार तीन युवकों ने उन्हें घेर लिया. इसके बाद आरोपियों ने रितेश को तो भगा दिया, लेकिन पीड़िता के साथ छेड़छाड़ और अश्लील हरकत की.आरोपियों ने इस घटना का वीडियो भी बनाया था. आरोपियों के जाने के बाद पीड़िता ने पुलिस को सूचना दी. इसके बाद पुलिस ने तीन अज्ञात युवकों के खिलाफ छेड़छाड़ की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी. उधर, घटना की जानकारी जैसे ही बीएचयू के अन्य छात्रों को मिली, बनारस में खूब हंगामा हुआ. खूब कैंडल मार्च निकाले गए. इसी बीच पुलिस ने पीड़ित लड़की का कोर्ट में बयान कराया. इस बयान के बाद मुकदमे में गैंग रेप की धाराएं बढ़ाई गईं. मुकदमे में गैंगरेप की धारा जुड़ते ही पुलिस पर आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबाव बढ़ गया था गांव में सन्नाटा, लाशों से पटे अस्पताल ऐसे में पुलिस ने 30 दिसंबर 2023 की रात तीन संदिग्ध आरोपियों को अरेस्ट किया. इन आरोपियों की पहचान बृज एंक्लेव कॉलोनी सुंदरपुर में रहने वाले कुणाल पांडेय, जिवधीपुर बजरडीहा के रहने वाले आनंद उर्फ अभिषेक चौहान और बजरडीहा के ही रहने वाले सक्षम पटेल के रूप में हुई थी. पुलिस ने इन सभी आरोपियों को जेल भेज दिया था. उस समय तीनों आरोपियों ने लोवर कोर्ट में जमानत अर्जी लगाई, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए उनकी अर्जी खारिज हो गई. इसके बाद तीनों ने ही हाईकोर्ट में जमानत की अर्जी लगाई.
पुलिस पर गुडवर्क दिखाने के लिए गिरफ्तारी का आरोप
इसमें बताया कि इस घटना के बाद दबाव में आई पुलिस ने केवल गुडवर्क दिखाने के लिए उन्हें उठाकर जेल में ठूंस दिया. जबकि उनका इस घटना से कोई लेना देना ही नहीं. आरोपियों के वकील ने उन्हें निदोष बताते हुए कहा कि साक्ष्य अधिनियम की धारा नौ के तहत आरोपियों की शिनाख्त परेड तक नहीं कराई गई. मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने माना कि जब तक दोष साबित न हो जाए, कारावास की अवधारणा अपवाद होता है. फिर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का हवाला देते हुए कोर्ट ने दो आरोपियों कुणाल पांडेय और आनंद उर्फ अभिषेक चौहान को सशर्त जमानत दे दी. वहीं तीसरे आरोपी सक्षम पटेल की अर्जी पर हाईकोर्ट में 16 सितंबर को सुनवाई होगी. सक्षम की जमानत अर्जी हाईकोर्ट में एक बार खारिज हो चुकी है.
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