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बुधवार, 4 सितंबर 2024

काव्य कलिका : भेडिये का आतंक

*अंगना दुआरि पर सोवै का,राती मा बहुत डेराइत है।
*लेरुवन का छोट छोट अपने,आंखी तर धरे रखाइत है।।
*आतंक कथा महसी वाली,जस टी वी औ अखबार रटैं।
*वैसै हम हूं सोवत जागत,भेंड़है भेंड़हा चिल्लाइत है।।

*शासन तक बात पहुंचि गय हय,है सजग प्रशासन हेंरत है।
*झाली जंगल गन्ना गंडरा, जस तनिक हिलै तस घेरत है।।
*अंटै अंटा कैमरा लगे,बिछि गये जाल हर नाकन पै।
*भेंड़ियन केर भय खतम न भा, मनई दैवै का टेरत है।।
*हे पशुपति भूतनाथ भोले, वेदना पूर्ण भव भुक्त हरौ।
*बहराइच बाल गोपालन कै,जीवन निर्भय सुखयुक्त करौ।।
*थकि गये तंत्र आतंक बढ़ा,हे अविनाशी करुणानिधान।
*हे विषपायन,प्रभु शूल पाणि, भेड़ियन के भय से मुक्त करौ।।

*रचयिता पं शिवकुमार शास्त्री सरल ज्योतिषाचार्य आकाशवाणी दूरदर्शन प्रोग्रामर पयागपुर बहराइच।*

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