● वर्ल्ड रिकॉर्ड हेतु आयोजित छोटी काशी काव्य कुंभ में राम मोहन गुप्त भी हुए सहभागी
● मातृ भाषा हिन्दी, साईबर क्राइम से बचाव, बनते बिगड़ते रिश्ते पर प्रस्तुतियां देकर जीती वाह वाही
कपिलश फाउंडेशन के तत्वावधान में प्रारंभ हुए 150 घंटे से अधिक चलने वाले छोटी काशी काव्य कुंभ कवि सम्मेलन में एक ओर जहां देश के विभिन्न राज्यों से आए कवियों ने अपनी सहभागिता दर्ज की वहीं नगर लखीमपुर के समाजसेवी साहित्यकार राम मोहन गुप्त ने भी अपनी प्रस्तुतियों से लोगों की वाह वाही प्राप्त की।
रॉयल लॉन गोला गोकर्णनाथ में अरुणेश मिश्र एवं अनुराधा पाण्डेय के संचालन में आयोजित प्रथम पाली के काव्य पाठ के अंतिम चरण में प्रत्येक कवि हेतु निर्धारित अधिकतम 20 मिनट की समयावधि का अनुपालन करते हुए राम मोहन गुप्त 'अमर' ने भी अपनी सशक्त सहभागिता प्रस्तुत करते हुए सबसे सुंदर सबसे न्यारा लखीमपुर अपना प्यारा, मातृ भाषा हिन्दी, उम्र पचास साठ की, जब कुछ नहीं था सब कुछ था, कैरियों के बजाए रिश्तों में खटाश बढ़ती जा रही, मोबाईल व इंटरनेट अजब गजब बेचैनी और साईबर क्राइम से रहें सतर्क चौकन्ने आदि विषयों पर सभी की सराहना प्राप्त की।
इस अवसर पर शशांक यादव, अजय सिंह, छोटी काशी काव्य कुंभ के संयोजक यतीश चंद्र शुक्ल, श्रीकांत तिवारी कांत एवं रविसुत शुक्ल, कपिलश फाउंडेशन की अध्यक्ष शिप्रा खरे टाइम कीपर गीतांजलि, जेबा एवं अजय शुक्ला सहित भारी संख्या में कवि, कवित्री, शायर, अतिथि एवं श्रोता उपस्थित रहे।
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