गुजरात पूर्व पुलिस अधिकारी संजीव भट्ट की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया. इस याचिका में उन्होंने 1990 में हिरासत में हुई मौत के मामले में अपनी दोषसिद्धि और आजीवन कारावास को चुनौती दी है. जस्टिस विक्रम नाथ और पी बी वराले की बेंच ने नोटिस जारी किया और मामले को कोर्ट के समक्ष लंबित अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ दिया. संजीव भट्ट ने गुजरात हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें जामनगर न्यायालय द्वारा दी गई दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ उनकी चुनौती को खारिज कर दिया गया था यह मामला नवंबर 1990 में प्रभुदास माधवजी वैष्णानी नामक व्यक्ति की मौत से जुड़ा है. कथित तौर पर उसकी मौत हिरासत में यातना की वजह से हुई थी. संजीव भट्ट जामनगर के सहायक पुलिस अधीक्षक थे, जिन्होंने अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर विरोध प्रदर्शन के दौरान दंगा करने के आरोप में वैष्णानी सहित लगभग 133 लोगों को हिरासत में लिया था. जामनगर कोर्ट ने 2019 में भट्ट और एक कॉन्सटेबल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जिसे चुनौती देने वाली अपील को जनवरी 2024 में हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था. संजीव भट्ट को 5 सितंबर, 2018 को एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया गया था, जहां उन पर एक व्यक्ति को ड्रग रखने के लिए झूठा फंसाने का आरोप है.
बुधवार, 28 अगस्त 2024
आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व IPS पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
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