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शनिवार, 13 जुलाई 2024

रील्स की दुनिया में खोता बचपन और सोशल मीडिया के दुष्परिणाम : नलिनी राजपूत, बरेली

 कॉविड-19 महामारी यह वह शब्द है जिसने लाखों लोगों को मौत के आगोश में ले लिया और यह वही समय था, जब सभी आयु वर्ग के लोगों ने सोशल मीडिया का अत्यधिक प्रयोग भी किया ।
बच्चे बूढ़े और जवान सभी सोशल मीडिया के आदी हो गए थे। यह सिलसिला आज भी जारी है ।कोरोना समय में क्वॉरेंटाइन होने की वजह से कोई भी व्यक्ति इधर-उधर आ जा नहीं सकता था। उस समय केवल मोबाइल पर ही सभी अपना मनोरंजन करने के लिए मजबूर थे।
उस समय टिकटॉक एक ऐसा मनोरंजन ऐप था जिसने सभी आयुवर्ग के लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया।
उसमें लोग तरह-तरह से अपनी वीडियो बनाते और पोस्ट करते थे। वो भी फिल्टर वाली खूबसूरती के साथ।
 खूबसूरत दिखना किसे पसंद नहीं है !खूब लाइक,कमेंट पाकर उनका हृदय फूला नहीं समाता था।उसकी जो लत शुरू हुई( टिकटॉक को भारत सरकार द्वारा बंद किए जाने के बाद भी फेसबुक, इंस्टाग्राम पर रील्स बनाकर बरकरार रखा गया हैं ) आज छोटे-छोटे बच्चों को शॉर्ट वीडियो और रील्स देखने में बहुत ही मजा आता है ।
कारण यह है कि रील्स सभी प्रकार की बनाई जाती है हंसने वाली, रोने वाली,बच्चों वाली,बूढ़े वाली, सास वाली,बहू वाली तरह-तरह के हंसगुल्ले वीडियो के साथ एडिट करके शॉर्ट वीडियो परोसी जाती हैं।
जिसका मज़ा छोटे-छोटे बच्चों  सहित सभी आयु वर्ग के लोग लेते हैं। मजे की बात तो यह है कि रील्स बनाने वाले 2 मिनट की रील्स बनाकर प्रसिद्धि पाना चाह रहे हैं। वे जल्दी से जल्दी पैसा कमाकर अमीर बनने का सपना संजो कर बैठे हैं किंतु यदि 1000 में से एक व्यक्ति इसमें सफल हो भी जाए तो 999 का तो समय बर्बाद ही हो रहा है।
 यह बात युवा वर्ग तथा अभिभावकों को भी समझनी होगी।
क्योंकि सभी की किस्मत एक जैसी नहीं होती थोड़ी देर मनोरंजन के लिए यह सब ठीक है। किंतु चिंता का विषय यह है कि इसकी लत बहुत बुरी है जो आज की युवा पीढ़ी और बच्चों के दिमाग को ख़ाली कर रही है।

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