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रविवार, 28 अप्रैल 2024

काव्यकलिका : उम्मीद का चाँद ....

शायद
बदल रहा है
हमारे जनपद का भाग्य
आ चुकी है
बड़ी रेलवे लाइन
बिछ रहा सड़कों का जाल

यही नहीं
अब तो पूर्ण हो चुकी है
चौबीसों घंटे बिजली की आस
निश्चित ही
अब बढ़ेंगे काम-धंधे
और होगा सर्वांगीण विकास

मिलेगा
बहुतों को रोज़गार
काम-धंधा, नौकरी, रोज़ी-रोटी
नए मुकाम 
बनेंगे, नजर आएगी
विकास और प्रगति की ज्योति

हर कोई
खुश-सुखी होगा
व्यापारी, सेवाकर्मी-किसान
विद्यार्थी, गृहणी, 
युवा-बच्चे, श्रमिक,
या यूँ कहूँ हर-घर और इंसान 

पर अभी भी
हैं बहुत सी जरूरते
जिनकी आस लगी है कि हों पूरी
वर्षों से
चाहिए डा दिल का
संग रोडवेज डिपो-वर्कशाप की जमीं

जनपद में हो
पर्यटन क्षेत्रों का विकास
उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य रक्षा के साधन
दिल्ली-मुंबई
तक दौड़ती ट्रेनें और
मुख्यालय पर प्रेक्षागृह कि लगे मन

है उम्मीद
जल्द ये स्वप्न भी होंगे साकार
जो अब तक नहीं हो सके हैं पूरे
जन मन को 
मिलेगी राहत जब हजरतगंज
सी सड़क से कार्य रहेंगे न अधूरे

✍🏻रामG
राम मोहन गुप्त 'अमर'

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