सुलतानपुर- दो बार से लगातार सुलतानपुर से विजय प्राप्त कर रही भाजपा को इस बार विपक्ष ने ‘चक्रव्यूह’ में उलझा करके मेनका गांधी के संसद पहुंचने की राहें मुश्किल कर दी हैं। वैसे सुल्तानपुर की सांसद मेनका गांधी ने जितना कार्य करके दिखाया है और महीने में दो बार सुल्तानपुर जनपद जाकर जिस तरह से कार्य किया है उसकी मिसाल आम जनमानस में लोग पेश करते हैं। सभी वर्गों में उनकी पकड़ है। मगर यह तो आम जनता का चुनाव है जीत का सेहरा किसके सर बैठेगा यह तो आने वाला समय बताएगा।इंडिया गठबंधन की ओर से इस सीट पर सपा ने पैंतरा बदलते हुए अपने पूर्व घोषित उम्मीदवार भीम निषाद की जगह आक्रामक राजनीति के लिए चर्चित सीएम योगी के इलाके गोरखपुर के मूल निवासी पूर्व मंत्री राम भुआल निषाद को उतार दिया है। वहीं विपक्षी चक्रव्यूह में बसपा ने भी पिछड़ा कार्ड खेल दिया है। ऐन वक्त पर बसपा प्रमुख मायावती ने यहां से कुर्मी समुदाय के धनवान और जमीनी कार्यकर्ता उदराज वर्मा को टिकट देकर पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के लगातार नवीं बार संसद पहुंचने की राह में रोड़े अटकाने का काम किया है। अवध क्षेत्र में अयोध्या के पड़ोस में स्थित सुलतानपुर संसदीय सीट 2014 से ही भाजपा के पास है। पहले यहां से वरुण गांधी सांसद हुए और 2019 में भाजपा ने उन्हें पीलीभीत शिफ्ट कर उनकी मां मेनका गांधी को यहां से उतारा गया। उन्हें बीते चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बसपा उम्मीदवार चंद्रभद्र सिंह के समक्ष करीबी मुकाबले में लगभग 14 हजार वोटों से ही जीत मिल पाई थी। अब एक बार फिर सपा-बसपा अपने अपने उम्मीदवार उतारकर सुलतानपुर के रणक्षेत्र को रोमांचक बना दिया है।बसपा ने कुर्मी उम्मीदवार उदराज वर्मा को उतारकर भाजपा के वोटों में तगड़ी सेंधमारी का प्लान बनाया है। खैर इसौली विधायक मोहम्मद ताहिर खान ने पहले अब और आगे भीम निषाद पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के आशीर्वाद बने रहने का दावा किया है। उनके इस बयान से टिकट के स्थायित्व पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। दलित और कुर्मी के वोटों के साथ उसे उम्मीद है कि मुस्लिम समुदाय भी उसे जमकर वोट करेंगे। इधर भीम निषाद का टिकट बदलकर सपा ने इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर यूपी सरकार के पूर्व मंत्री राम भुआल निषाद को उतार लड़ाई को आक्रामक बना दिया है।लगभग डेढ़ लाख निषाद आबादी वाले जिले में तकरीबन अस्सी प्रतिशत निषाद मत गठबंधन को मिलने का दावा किया जा रहा है। यदि ऐसा हुआ तो मुस्लिम और यादव मतों का ध्रुवीकरण सपा के पक्ष में होना तय है। फिलहाल,अब सुलतानपुर की जंग में हाथी और साइकिल के चक्रव्यूह में कमल फंसता हुआ नजर आ रहा है। जातिगत फैक्टर इस तरह से चुनाव में हावी हो रहा है। एक तरफ निषाद दूसरी तरफ कुर्मी। बहरहाल सांसद जो नवी बार देश की सबसे बड़ी पंचायत में सुल्तानपुर का प्रतिनिधित्व करने की लड़ाई लड़ रही हैं।मुकाबला बहुत ही दिलचस्प होगा।हार जीत का फैसला तो आम जनता को करना है। पर,चौराहा गलियों और गांव में इसकी चर्चा शुरू हो गई है।
सोमवार, 15 अप्रैल 2024
लो0स0 चुनाव सुल्तानपुर / हाथी और साइकिल के चक्रव्यूह में फंसा कमल

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