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रविवार, 3 मार्च 2024

Story : वाराणसी से तीसरी बार ताल ठोकेंगे नरेंद्र मोदी, अब तक नहीं हारे हैं एक भी इलेक्शन

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार वाराणसी से ताल ठोकने के लिए तैयार हैं। इससे पहले वह 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी से बड़े अंतर से जीत दर्ज कर चुके हैं। नरेंद्र मोदी अपने राजनीतिक करियर में एक भी चुनाव नहीं हारे हैं। उन्हें भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट किया था।नरेंद्र मोदी ने 2002 के उपचुनाव में राजकोट द्वितीय विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2002, 2007 और 2012 में उन्होंने मणिनगर से लगातार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 2014 में उन्हें भाजपा ने पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। उन्होंने 2014 में गुजरात के वडोदरा और वाराणसी दोनों लोकसभा सीटों से पर्चा भरा था। दोनों सीटों पर जीत के बाद उन्होंने वडोदरा की सीट छोड़ दी थी। 2019 में मोदी ने दोबारा वाराणसी से जीत दर्ज की। वह आज तक अपना एक भी चुनाव नहीं हारे हैं।2014 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद नरेंद्र मोदी ने इतिहास रच दिया था। दरअसल तब देश में पहली बार किसी गैर कांग्रेसी दल ने अपने दम पर बहुमत हासिल किया था। इसके बाद नरेंद्र मोदी ने 2019 में दोबारा सत्ता में वापसी की। वह लालकिले की प्राचीर से 9 बार संबोधन देने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री है। उन्हें अलग-अलग देशों से कई सम्मान मिल चुके हैं।
1985 में नरेंद्र मोदी ने राजनीति में कदम रखा और अपने काम के दम पर 1988-89 में ही वह प्रदेश भाजपा के महासचिव बन गए। इसके बाद उन्हें 1995 में भाजपा का राष्ट्रीय सचिव बना दिया गया। नरेंद्र मोदी ने लंबे समय तक संगठन की जिम्मेदारी संभाली है। लालकृष्ण आडवाणी को उनका राजनीतिक गुरु माना जाता है।2001 में गुजरात में खतरनाक भूकंप आया था। इसमें जान-माल की काफी हानि हुई थी। तब तत्कालीन सीएम केशुभाई पटेल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। नरेंद्र मोदी उस समय दिल्ली में थे। उन्हें तुरंत दिल्ली भेजा गया और वह पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने 2002 में राजकोट द्वितीय विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत दर्ज की थी। इसके बाद नरेंद्र मोदी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
नरेंद्र मोदी बचपन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हिस्सा बन गए थे। उन्हें 1958 में दीपावली के मौके पर बाल स्वयंसेवक के तौर पर शपथ दिलाई गई थी। धीरे-धीरे वह संघ के सक्रिय सदस्य बन गए। अपने शुरुआती दिनों में वह भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला के साथ घूमा करते थे। तब नरेंद्र मोदी को स्कूटर चलाना भी नहीं आता था। नरेंद्र मोदी के पिता की वडनगर स्टेशन पर चाय की दुकान थी। भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान स्टेशन से गुजर रहे भारतीय सैनिकों को उन्होंने चाय पिलाई थी। तब उनका मन सेना में जाने का था। 18 साल की उम्र में उनकी शादी करवा दी गई, लेकिन इसके कुछ सालों बाद ही नरेंद्र मोदी ने अपना घर छोड़ दिया। तब से ही वह अपने परिवार से अलग रहते हैं।

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