● अनाड़ी भक्त मंडल के आयोजन में झूम के नाचे भक्त हुई फूलों की बरसात
पावन पर्व होली के अवसर पर माता संकटा देवी मंदिर में अनाड़ी भक्त मंडल द्वारा होली महोत्सव, भजन कीर्तन का आयोजन किया गया। गणपति वंदन के साथ प्रारंभ हुई होलिकोत्सव भजन संध्या में अनवरत भक्ति, गीत,नृत्य और होरी की रसधार बही।
स्व. बनारसी दास जी रेवाड़ी वालों द्वारा स्थापित अनाड़ी भक्त मंडल के इस अभूतपूर्व आयोजन में पंडित आनंद मिश्रा, डा शालिनी मिश्रा, संगीता मिश्रा, घनश्याम दास, महाबीर प्रसाद लाला, सोनू, सर्वेश जायसवाल, कमल, राम मोहन गुप्त, संकेत आदि द्वारा गाइए गणपति जग वंदन शंकर सुवन भवानी जी के नंदन, चौरासी घंटा बाजे रे मेरी मैया के भवन में, पर्वत ज्योति लहराई जय हो तेरी ज्वाला माई, बड़ी देर भई नंदलाला तेरी राह तके बृजबाला, मैं तो सांवरे रंग राची सखी रे, मंगल भवन अमंगल हारी द्रवहु सो दशरथ अजर बिहारी, नगरी हो अयोध्या सी रघुकुल सा घराना हो, चरण हों राघव के जहां मेरा ठिकाना हो, मेरे तन मन धड़कन में सियाराम हैं, होरी खेलूं राम प्रभु संग साथ में सीता माई, होली कनक भवन में खेलत सिया रघुबीर, जरा चल के वृंदावन देखो श्याम मुरली बजाते मिलेंगे, वृंदावन के वृक्ष का मर्म न जाने कोई जहां डाल डाल पर राधे राधे होय, ऐसी होरी तुझे खिलाऊं छठी को दूध याद दिलाऊं होरी खेले जो अइयो मोरे गांव में, राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा, देना हो तो दीजिए जन्म जन्म का साथ, मझधार क्या करेगा मझधार ही किनारा, जिसको तेरा भरोसा जिसको तेरा सहारा आदि भजन, भक्ति होरी गीत प्रस्तुत किए गए।
अनाड़ी भक्त मंडल की भजन संध्या होली महोत्सव में घनश्याम दास, श्रीराम, हंसराज, महावीर प्रसाद लाला, नंदलाल, महेश, वैभव, विशाल, विष्णु, अविनाश जी, सनद कुमार, राम मोहन गुप्त, मधुकर महेंद्र, राम दयाल, पंडित आनंद कुमार मिश्रा, सचिन अग्रवाल, सुबोध कुमार पांडेय, संकेत, कमल, सर्वेश जायसवाल, चंद्र प्रकाश वर्मा, अरुण अग्रवाल, पुलकित महेंद्र, राजकुमार, गोपाल गुप्ता, रामजी सेठ, रविन्द्र गुप्ता, सावित्री देवी, राज रानी, शकुंतला देवी, संतोष देवी, दीपाली, कोमल, रिंकू, पूनम, डा शालिनी मिश्रा, संगीता मिश्रा, रोमी महेंद्र, संगीता महेंद्र, मुक्ति अग्रवाल सहित भारी संख्या में श्रृद्धालु भक्त जन उपस्थित रहे। इस अवसर पर माता संकटा देवी मंदिर परिसर को फूलों, विद्युत झालरों से अत्याकर्षक रूप से सजाया गया, भक्तों पर इत्र और फूलों की वर्षा के साथ सभी के लिए भोजन प्रसादी संग प्रसाद की व्यवस्था रही।
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