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गुरुवार, 21 मार्च 2024

अंतरराष्ट्रीय कविता दिवस विशेष : "कहीं कोई न दुःख हो"


कविता दिवस पर आओ लिख दूं एक नई फिर रचना
मन भाव संग जन स्वभाव की, आस पास की घटना 
देश प्रेम, प्रकृति संरक्षण और वसुधैव कुटुंबकम्
शिक्षा, ज्ञान-विज्ञान सहित नव तकनीक के क़दम
खेल-कूद, मनोरंजन, नित बढ़ते अवसर रोजगार के
धर्म-कर्म, सहिष्णुता मर्म, भाई चारा, स्नेह दुलार के
साहित्य सृजन, भ्रमण-पर्यटन, प्राकृतिक सौंदर्य के
शांति, एकता, चतुर्दिश प्रगति - श्रेष्ठता, असीमित शौर्य के
अंतर्राष्ट्रीय कविता दिवस पर 
हम सब ऐसे सृजन करें
मिल जुल कर रहें सब स्नेह करें
नित्य नव कीर्तिमान गढ़ें
हर सिर पर छत, रोजगार सभी को और निवाला हर मुख हो
रहें स्वस्थ-समृद्ध, सुखी-प्रसन्न सभी  कहीं कोई न दुःख हो
✍🏻रामG
*राम मोहन गुप्त 'अमर'*

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