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रविवार, 24 मार्च 2024

सात साल के नन्हे रोज़ादार अल्हम औसाफ ने कम उम्र में पहला रोज़ा रख दिया हम उम्र बच्चों को पैग़ाम

प्रयागराज। वैसे तो लड़कीयों कि उम्र नौ साल और लड़कों की उम्र पंद्रह साल में अहकाम ए शरीयत को अन्जाम देने का हुक्म है।लेकिन इन दिनों माहे रमज़ान में छोटे छोटे बच्चे भी रोज़ा रखने की ज़िद करने लगते हैं और वालिदैन बच्चों की ज़िद के आगे उनमें मज़हबी रुझान को देखते हुए बच्चों की ज़िद के आगे पस्त हो जाते हैं ऐसा ही बहादुरगंज शीशमहल के रहने वाले अल्हम औसाफ के वालिद औसाफ निसार और मां आफरीन के साथ देखने को मिला । अल्हम औसाफ ने माहे रमज़ान में रोज़ा रखने की ज़िद पकड़ी तो घर वालों के साथ खानदान वाले भी बच्चे की हौसला अफजा़ई को उसके हक़ में खड़े हो गए। अल्हम ने सहरी में उठ कर बड़ों के साथ सहरी खाई और दिन भर इस नन्ही सी उम्र में भूख और प्यास कि शिद्दत पर उफ़् न करते हुए रोजा रखा और मग़रिब कि अज़ान पर रोज़ा खोला तो सभी खुशी खुशी बच्चे को गले लगा कर मुबारकबाद देने लगे। अल्हम के पहले रोज़े पर रोज़ा कुशाई का इन्तेज़ाम भी किया गया और इस  दौरान नुरैन निसार, इफ्फत निसार, जरनैन निसार,रूमीसा निसार, गजल निसार वगैरा ने फूल माला पहना कर उसे खानदान वालों बेहतरीन तोहफा देकर उसका हौसला बढ़ाया और रब्बुल इज्जत की बारगाह में दुआ की!

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