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रविवार, 17 मार्च 2024

चुनाव के दौरान योगी के खास व सूचना निदेशक शिशिर को हटाने की साज़िश

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सूचना निदेशक हैं शिशिर सिंह, सूचना विभाग वही विभाग है जो मुख्यमंत्री,उनकी सरकार और आम जनता के बीच सेतु का काम करता है। जनता की समस्याओं को पत्रकारों के माध्यम से सरकार तक पहुंचाना, दोनों के मंतव्य को एक दूसरे तक पहुंचाना सूचना विभाग का कार्य है। उत्तर प्रदेश के सूचना निदेशक शिशिर सिंह के ऊपर एक तरफा भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे जिसमें लगाए गए आरोपों से संबंधित कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराए गए थे।
बड़ी बात यह है कि उस समाचार में सूचना विभाग के ही प्रमुख सचिव संजय प्रसाद के लिए ईमानदार शब्द का प्रयोग किया गया था।निश्चित रूप से यह दोनों अधिकारियों के बेहतर संबंध को नुकसान पहुंचाने का कुत्सित प्रयास है।उससे भी बड़ी बात यह है कि उसी समाचार में देश के गृह मंत्री अमित शाह से यह आशा की गई है कि वह भ्रष्ट तरीके से की गई कथित कमाई के लिए सूचना निदेशक शिशिर की जांच करवायें। यह वह समय है जब देश में लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं आचार संहिता की घोषणा चुनाव आयोग के द्वारा किसी भी समय हो सकती है और इस संवेदनशील समय पर इस तरह की खबरें प्रकाशित करवाना अपने आप में तमाम सारे संदेह पैदा करता है। निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश के सूचना निदेशक शिशिर के कार्यकाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा किए गए कार्यों को जन-जन तक पहुंचाना शिशिर के सराहनीय कामों में से एक रहा है।दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश और देश की राजनीति में योगी आदित्यनाथ की बढ़ती लोकप्रियता से शासन व भाजपा के ही कुछ लोग सशंकित हैं।
पता यह चला है कि ऐसे कुछ लोग हैं जो सरकार और भारतीय जनता पार्टी में बैठकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कमजोर करना चाहते हैं और शिशिर उस पद पर बैठे हुए हैं जिस पद पर बैठकर वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जनता से कनेक्ट करने का बेहतर और सशक्त माध्यम बने हुए हैं।
योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता को चरम पर पहुंचाने में उत्तर प्रदेश के सूचना निदेशक शिशिर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है बस यही कारण है की शिशिर सिंह के पीछे ऐसे लोग पड़े हुए हैं जिसमें कुछ उम्र दराज पत्रकार, महिलाएं, ब्लैकमेलर, दलाल और तमाम तरह के लोग हैं और इन लोगों को मुख्यमंत्री कार्यालय में बैठे हुए कुछ एक अधिकारियों का संरक्षण हासिल है।
इस तरह का काम इन अधिकारियों ने सूचना विभाग के ही प्रमुख सचिव रहे और अब रिटायर हो चुके एक आईएएस के साथ किया जिसमें कुछ ब्लैकमेलर पत्रकारों के साथ मिलकर साजिश रची गई थी बाद में उनको सूचना विभाग से हटकर महत्वहीन विभाग में भेज दिया गया और वह रिटायर भी हो गए।
खबर तो तक यहां तक है की सूचना निदेशक जो उत्तर प्रदेश के इतिहास में सबसे लंबे समय तक निदेशक रहने वाले अधिकारी बन गए हैं उनको हटाने की यह एक तैयारी भर है, आचार संहिता लगने के बाद केंद्र की सरकार में बैठे हुए लोगों के इशारे पर कुछ प्रार्थना पत्र सूचना निदेशक के खिलाफ चुनाव आयोग को दिए जाएंगे, लंबे समय तक उनके पद पर रहने, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खास होने और चुनाव को प्रभावित करने की बात कही जाएगी उसके बाद सूचना निदेशक शिशिर को उनके पद से हटा दिया जाएगा।
यह सब कुछ दिल्ली से होगा।
संदेश यह दिया जाएगा की कार्यवाही चुनाव आयोग ने की है लेकिन वास्तविकता यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कमजोर करने के लिए ऐसी साजिश रची जा रही है क्योंकि चुनाव के समय इस तरह की खबरें आना समझ से परे है।
दूसरी तरफ पत्रकारों का एक बड़ा वर्ग लगातार इस तरह के साजिशों की आलोचना कर रहा है और खुलकर शिशिर के साथ खड़ा है। लेकिन देखना यह है कि कुछ तथा कथित मठाधीशों की साज़िशें कामयाब हो पाती हैं या सूचना निदेशक शिशिर लगातार अपने बेहतरीन कार्य को अंजाम देते रहते हैं।

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