हे दीनबंधु! दीनानाथ ! दया मुझ पर कीजिए,
बिगड़ी हमारी जो दशा है ध्यान उस पर दीजिए।
कोई नहीं है जगत में प्रभु आप ही कुछ कीजिए,
हे नाथ! मेरे माथ पर हाथ रख दीजिए!!1!!
दुश्मन यहां पर बहुत हैं प्रभु नाव मेरी खेइए,
काम-क्रोध-लोभ-मोह इनका क्षरण कीजिए।
हूं अनाथ नाथ मेरे अब सनाथ कीजिए,
हे नाथ! मेरे माथ पर हाथ रख दीजिए!!2!!
द्रौपदी की लाज राखी नाथ मेरी राखिए,
प्रभु चरण मैं शरण तेरी सम्पूर्ण विपदा मेटिए।
मेरी विपत्ति देखकर मेरे नाथ दाया कीजिए,
हे नाथ! मेरे माथ पर हाथ रख दीजिए!!3!!
हे प्रभो! आनंददाता! बात मेरी मानिए,
आप हैं प्रभु नाथ मेरे आप ही मुझे तारिए।
छल-कपट-माया-प्रपंच दूर इनको कीजिए,
हे नाथ! मेरे माथ पर हाथ रख दीजिए!!4!!
विकट तम है व्यथित मन है प्रभु प्रकाश कीजिए,
'पवन' पावन शरण तेरी नाथ तारण कीजिए।
"भूलूं नहीं तुमको प्रभू" ऐसी व्यवस्था कीजिए,
हे नाथ! मेरे माथ पर हाथ रख दीजिए!!5!!
● पवन कुमार पाण्डेय
एम. ए. (साहित्य), एम. ए. (लोक प्रशासन) & एम. ए. (ज्योतिष-अध्ययनरत),
पूर्व प्रबंधक (DSIIDC, दिल्ली सरकार),
पूर्व अनुभाग अधिकारी (इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली सरकार); एवम्
अनुभाग अधिकारी
श्री वेंकटेश्वर महाविद्यालय (दिल्ली विश्वविद्यालय)
नई दिल्ली.
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