रविवार, 17 दिसम्बर, कोलकाता महानगर की साहित्यिक संस्था भारतीय भाषा परिषद् एवं वाराही के संयुक्त तत्वावधान में, एक विराट कवि सम्मेलन का आयोजन भारतीय भाषा परिषद् के सभागार में किया गया जिसमें कोलकाता के दिग्गज कलमकारों ने अपनी कलम का भरपूर जादू बिखेरा| परिषद् की अध्यक्ष डॉ० कुसुम खेमानी की अध्यक्षता में हुए इस कार्यक्रम में कार्यक्रम समन्वयक थे आशीष झुनझुनवाला एवं संयोजक थे वाराही के सचिव अरुण कुमार तथा संचालन का भार सम्भाला वाराही की अध्यक्ष नीता अनामिका ने|
कार्यक्रम का शुभारम्भ डॉ० कुसुम खेमानी द्वारा स्वागत भाषण एवं रामाकांत सिन्हा द्वारा सरस्वती वन्दना की प्रस्तुति के साथ हुआ| इस अवसर पर कोलकाता के जाने माने साहित्यकार दिवंगत आशुतोष जी की आत्मा की शान्ति के लिए सभागार में उपस्थित सभी सुधीजनों ने दो मिनट का मौन रखकर उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि भी अर्पित की| उसके बाद वाराही द्वारा डॉ० कुसुम खेमानी, आशीष झुनझुनवाला एवं परिषद् के निदेशक डॉ० शम्भुनाथ का सम्मान किया गया और समस्त रचनाधर्मियों ने अपनी उत्कृष्ट रचनाएँ प्रस्तुत कर सभी का ह्रदय जीत लिया| काव्य पाठ का आगाज़ किया प्रणति ठाकुर ने अपनी वात्सल्य से भरी कविता ‘स्वर्णा’ सुनाकर| उसके बाद डॉ० अभिज्ञात की रचना ‘आदमी वैसे तो खरा हूँ मैं’ सुनकर सभी भाव विभोर हो उठे| फिर नीता अनामिका ने मोर्चा सम्भाला और अपनी रचना ‘भूलना महत्वपूर्ण है’, ‘मंगल’ एवं ‘हां मैं जल्दी में हूँ’ सुनाकर खूब तालियाँ बटोरी| घुँघरू परमार ने अपनी रचनाएँ ‘भूतनाथ मंदिर’, ‘शम्भूलाल पंडित स्ट्रीट’ एवं ‘रवीन्द्रनाथ’ प्रस्तुत कर एक व्यग्यात्मक एवं चित्रात्मक काव्य जगत का सृजन किया| फिर आनंद गुप्ता ने अपनी कविता ‘हुगली के तट पर’ सुनाकर हुगली नदी को मानो सभी की आँखों के समक्ष प्रस्तुत कर दिया| डॉ० मनोज मिश्र की रचना ‘रुपया तुम हो महान’ एवं ‘लंकेश’ को श्रोताओं ने खूब सराहा| जीतेंद्र जीतान्शु ने अपने निराले अंदाज़ में ‘सोलह दूनी आठ’ एवं ‘नए वर्ष की शाम’ सुनाकर सभी को झकझोरा तो सेराज खां बातिश ने अंततः अपनी रचनाएँ ‘जी रहा हूँ महानगर की तरह’, ‘कोई रखता नहीं किसी की खबर’ सुनाई और कार्यक्रम को चरमोत्कर्ष पर पहुंचा दिया| इस अवसर पर वाराही की ओर से केयूर मजमूदार, रामाकांत सिन्हा, स्वागता बासु, वन्दना पाठक, आलोक चौधरी एवं विकास ठाकुर ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना विशेष योगदान दिया| परिषद् की ओर से शम्भुनाथ , विमला पोद्दार, डॉ० राजश्री शुक्ला, मीनाक्षी दत्ता, घनश्याम सुगला, सुशील कान्ति आदि का भी विशेष सहयोग रहा| इनके अलावा कोलकाता के जाने माने कलमकार चंद्रिका प्रसाद पाण्डेय अनुरागी, नंदलाल रौशन, डॉ० शिप्रा मिश्रा, हिमाद्री मिश्रा, अल्पना सिंह, रणजीत भारती, रवींद्र श्रीवास्तव, जीवन सिंह, राम नारायण झा, प्रदीप धानुक, मीनाक्षी सांगानेरिया, रीता चंद्रा पात्रा, राज घोष आदि भी श्रोताओं के रूप में उपस्थित रहे| अंत में, डॉ० शम्भूनाथ जी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ ही यह अभूतपूर्व कार्यक्रम सुसंपन्न हुआ |
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