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गुरुवार, 30 नवंबर 2023

पराली जलाने के नाम पर हुई किसानों पर कार्यवाही के बाद किसान हित में आगे आया भारतीय किसान संघ

भारतीय किसान संघ ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का हवाला देते हुए की पराली प्रबंधन की समुचित व्यवस्था की मांग

लखीमपुर, 30 नवंबर। शीत आगमन के साथ ही बढ़ने वाले वायु प्रदूषण की रोकथाम को लेकर जहां एक तरफ एक्शन में आया खीरी जिला प्रशासन ताबड़तोड़ कार्यवाहियां कर रहा है वहीं दूसरी तरफ किसान हितों के लिए लगातार प्रयासरत भारतीय किसान संघ ने पराली जलाने के नाम पर किसानों के शोषण का आरोप लगाते हुए गत दिवस मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन प्रभारी जिलाधिकारी को दिया है। ज्ञापन में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का हवाला देते हुए भाकिसं ने राज्य सरकार से पराली प्रबंधन की समुचित व्यवस्था की एवं किसानों का शोषण न किये जाने की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि हर वर्ष बदलते मौसम में हर साल जहां एक तरफ पर्वमाला की खुशियां होती हैं वहीं दूसरी तरफ वायु प्रदूषण भी बढ़ जाता है। इसी समय फसल कटाई भी होती है, जिससे फसल अवशेष खेतों खलिहानों में जमा हो जाते हैं। हालांकि फॉग से पहले स्मॉग, या यूं कह लीजिए फॉग और स्मॉग में अंतर ढूंढना मुश्किल हो जाता है, का ठीकरा किसान के सर ही फोड़ा जाता है। अगर गम्भीरता से विचार करें तो कारण और भी कई होंगे। जिसमे फसल अवशेष का जलाया जाना भी एक कारण है। हालांकि शासन व प्रशासन की कड़ाई से इस बार वायु गुणवत्ता में पिछले वर्ष की तुलना में सुधार देखने को मिला है जो कि नाकाफी है। एक्यूआई बेहतर करने के उद्देश्य से खीरी जिला प्रशासन ने सर्दियों से पूर्व ही कमर कस ली थी। और रोकथाम के लिए किसानों और किसानों द्वारा पराली जलाने पर नाकाम रहने वाले सम्बंधित अधिकारियों पर ताबड़तोड़ कार्यवाहियां भी की। 
उधर कार्यवाही के बाद परेशान किसानों का दर्द उठाते हुए भाकिसं ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन दिया। भाकिसं ने ज्ञापन पत्र में लिखा कि : सरकार ने किसानों हितो के लिये सकारात्मक सोच रखकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने हेतु अनेक प्रकार की योजनाओं द्वारा किसानों को लाभान्वित किया है। परन्तु प्रदेश के किसानों को फसल अवषेष/पराली, पत्ती जलाने पर कार्बन उत्सर्जन के नाम पर किसानों को असहाय और सॉफ्ट टारगेट की भावना से बिना किसी आधार के उनके विरुद्ध आर्थिक दण्ड लगा, जेल भेजकर, उनके गन्ना बॉण्ड को बन्दकर एम० एस० पी० पर खरीद न कर अनेक प्रकार की दंडनात्मक कार्यवाही की जा रही है। जबकि भारत का किसान 65 प्रतिशत किसान 96 प्रतिशत ऑक्सीजन का उत्पादन और मात्र 4 प्रतिशत का कार्बन उत्सर्जन करता है और इसके विपरीत 35 प्रतिशत में फैक्ट्री, इंडस्ट्रीज, वायुयान, वाहन आदि-आदि 96 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन करते हैं उनके विरुद्ध कोई भी कार्यवाही नहीं। भारतीय किसान संघ उत्तरप्रदेश ने उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव देवेश कुमार की सितम्बर 2010 की ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस में सुझाव दिया था कि जब तक सरकार किसान की पराली के प्रबंधन खरीददारी की समुचित व्यवस्था नहीं कर लेती तब तक किसानों पर किसी भी प्रकार कार्यवाही नही की जाए। इसलिये भारतीय किसान संघ आपसे किसानों पर हो रही इस दंडनात्मक कार्यवाही रोकने के लिये अनुरोध/मांग करता है कि-

● 1- पराली प्रबंधन हेतु माननीय उच्चतम न्यायालय की भावना के अनुसार राज्य सरकार किसानों
के लिये मल्वर, सुपर सीजर एम बी प्लाक, आदि मशीन निःशुल्क उपलब्ध कराए।

● 2- उपरोक्त मशीनों के प्रयोग में होने वाले आवश्यक इंधन, जनशक्ति के श्रम राशि को भी माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार राज्य सरकार द्वारा किसानों को उपलब्ध कराया जाए। किसान की सम्पूर्ण पराली को सरकार द्वारा न्यूनतम मूल्य निर्धारित कर खरीदा जाए। निश्व स्तरीय भारतीय कार्बन क्रेडिट योजना के आधार पर राज्य सरकार किसानों को भी ऑक्सीजन उत्पादन के लिये प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराए। जब तक किसान की पराली के प्रबंधन की समुचित व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा न हो और किसान पराली प्रबंधन के लिये प्रशिक्षित न हो तब तक किसानों को पर किसी भी प्रकार का आर्थिक दण्डू, सजा आदि जैसी कार्यवाही नही की जाए। 

हमें आशा ही नहीं अपितु पूर्ण अपेक्षा है कि आप  उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन राज्य सरकार से कराते हुए किसानों के संदर्भ में उपरोक्त मांगो पर गम्भीरता से विचार करते हुए किसानों को लाभ देने का कार्य पूर्ण करेंगे।

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