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मंगलवार, 5 सितंबर 2023

धार्मिक / मां दुर्गा का वाहन शेर क्यों ? read more

 पौराणिक कथा के अनुसार माँ पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। हजारों वर्षों तक चली इस कठोर तपस्या के फल स्वरूप माँ पार्वती ने शिवजी को तो पा लिया पर तप के प्रभाव से वह खुद सांवली पड़ गयी।विनोद में एक दिन शिवजी ने माँ पार्वती को काली कह दिया, यह बात माँ पार्वती को इतनी बुरी लग गयी कि उन्होने कैलाश त्याग दिया और वन गमन किया। वन में जाकर उन्होंने घोर तपस्या किया। उनकी इस कठिन तपस्या के दौरान वहाँ एक भूखा शेर, उनका भक्षण करने के इरादे से आ चढ़ा। लेकिन तपस्या में लीन माँ पार्वती को देख कर वह शेर चमत्कारिक रूप से वहीं रुक गया और माँ पार्वती के सामने बैठ गया और उन्हें निहारता रहा।माँ पार्वती ने तो हठ ले ली थी कि जब तक वह गोरी (रूपवान) नहीं हो जाएंगी, तब तक तप करती ही रहेंगी। शेर भी भूखा प्यासा उनके सामने बरसों तक बैठा रहा। अंत में शिवजी प्रकट हुए और माँ पार्वती को गोरी होने का वरदान देकर अंतर्ध्यान हो गए। इसके बाद पार्वती माँ गंगा स्नान करने गईं तब उनके अंदर से एक और देवी प्रकट हुई और माँ पार्वती गोरी बन गईं। इसीलिए उनका नाम इसीलिए गौरी पड़ा। दूसरी देवी जिनका स्वरूप श्याम था, उन्हें कौशकी नाम से जाना गया।स्नान के उपरांत जब माँ पार्वती (गौरी) वापस लौट रही थीं तब उन्होने देखा कि वहाँ एक शेर बैठा है, जो उनकी और बड़े ध्यान से देखे जा रहा है। शेर एक मांसाहारी पशु होने के बावजूद, उसने माँ पर हमला नहीं किया था यह बात माँ पार्वती को आश्चर्यजनक लगी। फिर उन्हें अपनी दिव्य शक्ति से यह आभास हुआ कि वह शेर तो तपस्या के दौरान भी उनके साथ वहीं पर बैठा था। तब माँ पार्वती ने उस शेर को आशीष देकर अपना वाहन बना लिया।

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