सनातन धर्म शांति का प्रतीक होने के साथ ही जगत को सर्वे भवंतु सुखिन: का पाठ पढ़ाता है। सनातन धर्म संस्कृति और संस्कार का ही नहीं, विज्ञान का भी सबसे समृद्ध खजाना है। इसमें सामाजिकता जितनी कूट-कूट कर भरी है, उतना ही भौतिक और वैज्ञानिक ज्ञान भी इसमें भरा है।यह संदेश कांची कामकोटि पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी विजयेंद्र सरस्वती ने अशोक नगर में आयोजित प्रयाग संवाद शृंखला के उद्घाटन के अवसर पर दिया।मंत्रोच्चार के साथ पादुका पूजन के बाद शंकराचार्य ने कहा कि आध्यात्मिकता की आवश्यकता संत और साधक के लिए होती हैै। लेकिन आम जन को शांति की हमेशा चाहत होती है। यह शांति पूरी दुनिया में सिर्फ सनातन धर्म के जरिए ही प्राप्त हो सकती है। शंकराचार्य ने कहा कि शांति के लिए धर्म के आश्रय की जरूरत होती है।उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में जिस तरह धर्म आधारित शासन हुआ करता था, उसी तरह सरकार और समाज के बीच निकटता होनी चाहिए। लेकिन इससे हम लगातार दूर हो रहे हैं। सनातन धर्म, मानवता, एकता के साथ ही माता-पिता और गुरु को देवता के रूप में परिभाषित करता है। इस दौरान उन्होंने प्रयागराज की महिमा का बखान भी किया। कहा कि पुण्य से सिंचित यह धरती हमेशा कल्याण और मंगल का उपहार देती रही है।
शनिवार, 1 जुलाई 2023
सनातन धर्म संस्कृति-संस्कार का ही नहीं, विज्ञान का भी खजाना

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